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जाम से निजात दिलाने के लिए पांच साल में आठ प्लान बने, सभी फेल

पांच साल में आठ प्लान बने, लेकिन जाम की समस्या समाप्त होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह सड़कों पर अतिक्रमण और क्षमता से अधिक सार्वजनिक गाड़ियों का चलना है। रोज सुबह 9 से 11 बजे तक और शाम 5 से 8:30 बजे तक सड़कों से गुजरना मुश्किल रहता है।दानापुर से पटना मध्य पटना होते पटना सिटी तक 60 हजार ऑटो चल रहे हैं, जबकि क्षमता 28 हजार की है। डीटीओ, ट्रैफिक प्रशासन और जिला प्रशासन द्वारा 2024 में 26 मार्गों पर सर्वे कराया गया था। तय किया गया था कि शहर को तीन जोन में बांट कर इनके अधीन 26 मार्गों पर 18181 ऑटो चलेंगे। इसी के हिसाब से परिवहन विभाग द्वारा परमिट देने का निर्णय लिया गया था। लेकिन, अबतक यह प्लान कागज में ही है। दरअसल, जोन और मार्ग के हिसाब से ऑटो मालिकों से ऑनलाइन आवेदन लेना है। इसके लिए अबतक सॉफ्टवेयर ही विकसित नहीं हो सका है। इन छह बदलाव से शहर में सुधार संभव पीके दास, ट्रैफिक एक्सपर्ट जैसे ही रूट और जोन वाइज ऑटो का परिचालन होगा, जाम की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। अभी सॉफ्टवेयर बनाने का काम चल रहा है। इसके बाद चालकों से ऑनलाइन आवेदन मांगा जाएगा। -उपेंद्र कुमार पाल, डीटीओ


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