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जांच के घेरे में किसान इंटर कॉलेज अनुदान मामला:ग्रांट अमाउंट में कथित दुरुपयोग के बाद परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप, शिक्षकों ने खोला मोर्चा

पूर्णिया के अमौर स्थित किसान इंटर कॉलेज पहड़िया से जुड़े अनुदान राशि के कथित दुरुपयोग के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आरोपों के समर्थन में सामने आए आधिकारिक पत्र और दस्तावेज़ के बाद शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। शिक्षकों का आरोप है कि न सिर्फ अनुदान की राशि में अनियमितता बरती गई, बल्कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के नियमों को ताक पर रखकर प्रबंधन समिति के गठन में भी परिवारवाद को बढ़ावा दिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए बायसी SDO ने मामले की जांच की बात कही है। पत्र में साफ किया गया है कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा बोर्ड के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए अनुदान राशि का मनमाना वितरण किया गया। शिक्षकों की शिकायत पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मामले को संज्ञान में लेते हुए अनुमंडल पदाधिकारी, बायसी को जांच का निर्देश दिया है। 1980 में अमौर के पहाड़िया में किसान कॉलेज की स्थापना हुई थी कॉलेज के उर्दू के शिक्षक मरग़बुल हक ने कहा शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए अमौर के लोगों ने अपनी भूमि दान दी, जिसके बाद साल 1980 में अमौर के पहाड़िया में किसान कॉलेज की स्थापना की गई। 2011 में प्रबंधन समिति के अध्यक्ष शफीक आलम रब्बानी ने इसे ट्रस्ट के अंदर शामिल कर लिया। कॉलेज में अपनी मनमानी चलाते हुए प्रबंधन समिति के अध्यक्ष शफीक आलम रब्बानी ने समिति में बेटी, बेटा और दूसरे कई रिश्तेदारों को स्कूल में विभिन्न पदों पर रख लिया। इतना ही नहीं प्रबंधन समिति में भी इन्हें शामिल कर लिया गया। जबकि बोर्ड का कहना है कि इस तरह एक ही परिवार के लोगों को समिति में शामिल करना नियमों के विरुद्ध है। टीचर बोले- कॉलेज और प्रबंधन समिति में पारिवारिक सदस्यों का दबदबा बढ़ा शिक्षक कैलाश कुमार ने आरोप लगाया कि कॉलेज और प्रबंधन समिति में पारिवारिक सदस्यों का दबदबा बढ़ने के बाद मनमानी बढ़ गई। 2013–15 और 2014–16 में अनुदान का वितरण समानुपातिक नहीं किया गया। जो शिक्षक उस समय कार्यरत भी नहीं थे, उन्हें भी भुगतान कर दिया गया, जबकि वरिष्ठ और पात्र शिक्षकों को अपेक्षाकृत कम राशि दी गई। शफाक नाज जिसकी नियुक्ति साल 2019 में हुई वह अध्यक्ष की बेटी है। साल 2014 -16 में वो डिग्री की छात्रा रही। इस साल 2019 में कॉलेज में नियुक्त दिखाकर साल 2014-16 की राशि से 1 लाख रुपए की राशि का भुगतान किया गया। अध्यक्ष ने अपने बेटे राहत इकबाल को कॉलेज का 11वा लिपिक दिखाकर 2014–16 के अनुदान से 78 हजार रुपए का भुगतान किया गया, जबकि दस्तावेज़ बताते हैं कि उनकी नियुक्ति वर्ष 2020 में हुई। यानी जिस अवधि का अनुदान था, उस समय वे कॉलेज में कार्यरत ही नहीं थे। टीचर बोले- आवाज उठाने पर कॉलेज से निकालने की धमकी मिलती है शिक्षक जमील अख्तर ने कहा कि आवाज उठाने पर शिक्षकों को कॉलेज से निकाल देने की धमकी दी जाती है। कॉलेज की आंतरिक स्त्रोत और सरकार की ओर से मिलने वाली अनुदानित राशि दोनों ही राशियों के आवंटन में घोर अनियमितता बरती गई। कॉलेज में राशियों के वितरण से पहले कोई अनुमति नहीं ली गई। वितरण की प्रक्रिया समानुपातिक होनी चाहिए लेकिन इसके उलट मनमाना तरीके से राशियों का आवंटन किया जा रहा है। कॉलेज की सभी वित्तीय और प्रशासनिक व्यवस्था एक ही व्यक्ति के नियंत्रण में है, जिससे पारदर्शिता खत्म हो चुकी है। शिक्षक अजय कुमार ने कहा कि कॉलेज के आंतरिक स्रोत से मिलने वाली राशि का दस प्रतिशत से भी कम वितरण किया गया। वर्ष 2006–08 के अनुदान की राशि 2012 में प्राप्त होने के बावजूद 2013 और 2014 में कर्मचारियों को आंतरिक स्रोत से भुगतान नहीं किया गया।तर्क दिया गया कि सरकार वेतन दे रही है, जबकि नियमों के अनुसार आंतरिक स्रोत की राशि का अलग उपयोग अनिवार्य था। कोरोना महामारी के दौरान लगातार दो वर्षों तक किसी भी कर्मचारी को कोई भुगतान नहीं किया गया, जबकि उस अवधि में भी कॉलेज की शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियां संचालित होती रहीं। पूर्व प्रिंसिपल बोले- मनमानी कर मुझे पद से हटाया गया था पूर्व प्रिंसिपल मो. शफी आजम ने आरोप लगाया है कि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष की मनमानी के कारण उन्हें पद से हटाया गया। उनका कहना है कि जो भी उनके निर्देशों से असहमति जताता है, उसे किसी न किसी अनियमितता में फंसा दिया जाता है। वहीं, प्रबंधन समिति के अध्यक्ष शफीक आलम रब्बानी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि अनुदान का भुगतान नियमों के तहत प्रिंसिपल और वरिष्ठ शिक्षकों की सहमति से किया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि कॉलेज में उनका कोई रिश्तेदार कार्यरत नहीं है। मामले की गंभीरता को देखते हुए बायसी एसडीओ अभिषेक रंजन ने किसान इंटर कॉलेज पहड़िया में शिक्षकों के बीच बांटे गए सरकारी अनुदान की राशि की जांच की बात कही है। एसडीओ ने बताया कि किसान कॉलेज का जो मामला है उसकी टीम गठित कर जांच की जाएगी। जांच में गलत पाया जाएगा तो कार्रवाई होगी।


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