बेगूसराय के काबर झील के उपरी हिस्से में समय होने के बाद भी पानी निकासी नहीं हुई। इससे परेशान किसान अब खुद पानी निकालने की व्यवस्था के लिए सामने आ गए हैं। अक्टूबर के बाद फसल लगाने के लिए पानी निकालने का नियम है और इसके लिए नहर की व्यवस्था है। लेकिन नहर में बाधा रहने के कारण पानी निकासी नहीं हो रही है। किसानों ने इसके लिए मछुआरों को कई बार अनुरोध किया, प्रचार-प्रसार किया गया कि नहर में लगाया गया अवरोधक हटा लें। लेकिन मछुआरों ने नहीं हटाया। जिसके बाद आज मंझौल, सकड़ा, रजौड़, मणिकपुर और कनौसी के किसानों ने खुद नहर में उतरकर पानी निकासी में बाधा बने मछली पकड़ने वाले सामान को हटाना शुरू कर दिया है। पहले दिन काबर से लेकर हरसाइन पुल तक 21 जगह से अवरोधक घटाया गया है। यह सिलसिला बूढ़ी गंडक नदी में बगरस स्लुइस गेट तक जारी रहेगा। किसान और सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश यादव ने बताया कि 1952 में प्रथम केबिनेट में ही बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की ओर से काबर से जल निकासी के लिए काबर से बगरस तक नहर बनाया गया था। खेती-किसानी प्रभावित हो रही बाद के किसी भी सरकार ने नहर की साफ-सफाई और गाद की सफाई नहीं कराई। जिसके कारण हर साल सैकड़ों एकड़ जमीन में जल जमाव से खेती-किसानी प्रभावित होते आ रहा है। एक सप्ताह पहले काबर किसान महापंचायत ने सभी मछुआरों से जाल और बांस से बना बाड़ी हटा लेने का प्रचार-प्रसार कर अनुरोध किया था। इसके बाद भी नहीं हटाया तो आज मंझौल, सकड़ा, रजौड़, मणिकपुर और कनौसी के सैकड़ों किसानों ने इकट्ठा होकर हरसाइन पुल तक 21 जगहों पर पानी अवरोधक जाल बांस हटाया है। इसके बाद पानी निकलना शुरू हुआ है, इसे बगरस किए जाने की आवश्यकता है। एक अभियान की तरह आगे भी किसान सहयोग करने को तैयार हैं। पानी का बहाव शुरू करने के लिए मंझौल के किसान विजय सिंह, रामचरित्र सिंह, मुनमुन सिंह, भीम सिंह, संजय सिंह, सचिन कुमार, नंदन सिंह, बालेश्वर सदा, इम्तियाज इब्राहिम, बल्लभ बादशाह, कनौसी के विजय सिंह, झारखंडी सिंह, राजकुमार सिंह, अभय सिंह, रामजीवन सिंह, अर्जुन सिंह, मणिकपुर के रामदयाल यादव, केदार यादव, वीरेंद्र यादव, राजेंद्र यादव, मुकेश यादव, रामदेव साहु और हरिओम यादव आदि लगे हुए हैं।
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