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जर्जर सड़कों के कारण लालापुर चावल उद्योग संकट में:मिल बंद होने से 10 हजार लोग होंगे बेरोजगार, चंदा जुटाकर बना रहे रोड

कैमूर के कुदरा प्रखंड स्थित लालापुर, जो चावल उत्पादन का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है, गंभीर संकट का सामना कर रहा है। यहां 200 से अधिक राइस मिलें संचालित हैं और चावल सीजन में 10 हजार से अधिक मजदूरों को रोजगार मिलता है। हालांकि, जर्जर सड़कों के कारण यह उद्योग बंद होने के कगार पर है। समस्या तब शुरू हुई जब लालापुर-कुदरा मुख्य सड़क पर रेलवे ओवरब्रिज को ओवरहेड बैरियर लगाकर भारी वाहनों के लिए बंद कर दिया गया। इसके विकल्प के तौर पर लालापुर-गजराढी-चिलबिली मार्ग बनाया गया था, लेकिन यह सड़क मात्र दो साल में ही भारी वाहनों के आवागमन से पूरी तरह जर्जर हो गई है। मिलों का परिवहन कार्य ठप सड़कों की बदहाली के कारण मिलों का परिवहन कार्य ठप पड़ रहा है। ट्रकों और अन्य भारी वाहनों के लिए इन गड्ढों भरी सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है, जिससे कच्चे माल की आवक और तैयार चावल की निकासी प्रभावित हो रही है। मिलर सुरेंद्र राय और मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने बताया कि लालापुर क्षेत्र से सरकार को प्रतिमाह 2 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। इसके बावजूद सड़क निर्माण के लिए कोई सरकारी पहल नहीं की गई। चंदा इकट्ठा कर सड़क निर्माण कार्य शुरू उन्होंने कहा कि रेलवे विभाग से लेकर स्थानीय सांसद, विधायक, मंत्री और जिलाधिकारी तक को ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। मजबूरन, मिल संचालकों ने आपसी सहयोग से चंदा इकट्ठा कर सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इस पर अब तक 10 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं और कुल अनुमानित लागत लगभग 25 लाख रुपए है। राइस मिल एसोसिएशन के सचिव संजय पांडे और संगठन सचिव बृजेश कुमार सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सड़कों की बदहाली से चावल उद्योग और 10 हजार मजदूरों की आजीविका खतरे में है। उन्होंने यह भी बताया कि स्कूली बच्चे भी इसी रास्ते से गुजरते हैं, जिससे प्रतिदिन दुर्घटना का खतरा बना रहता है। जमा खान ने दी प्रतिक्रिया इस बीच, बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद जमा खान ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि उद्योग प्रभावित हो रहा है तो मिलर लिखित आवेदन दें, वे इस पर कार्रवाई कर सड़क की समस्या का समाधान कराएंगे। राज्य की सबसे अधिक राजस्व देने वाली इकाइयों में से एक लालापुर की यह चावल मंडी, आज बदहाल सड़कों के कारण अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।


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