सीतामढ़ी के पुपरी अनुमंडल मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का सामना कर रहा है। यहां डॉक्टरों की भारी कमी है, अस्पताल का भवन जर्जर हो चुका है और चार साल पहले मिली अल्ट्रासाउंड मशीन भी धूल फांक रही है। मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के बैठने की नहीं है जगह अस्पताल के अधिकांश भवन अब खंडहर हो रहे हैं। कई कमरों की छतों और दीवारों में गहरी दरारें पड़ गई हैं, और कुछ जगहों पर पेड़-पौधे उग आए हैं। मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है, जिससे कई सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने में बाधा आ रही है। महिला रोग और हड्डी रोग विशेषज्ञ के न होने से परेशानी पीएचसी में चिकित्सकों के चार पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल एक ही डॉक्टर कार्यरत हैं। महिला रोग विशेषज्ञ और हड्डी रोग विशेषज्ञ की अनुपस्थिति से मरीजों को सर्वाधिक परेशानी हो रही है। महिला डॉक्टर न होने के कारण प्रसव कक्ष का संचालन सामान्य चिकित्सक के भरोसे है। हड्डी रोग विशेषज्ञ के अभाव में चोट, फ्रैक्चर या जोड़ों की समस्या वाले मरीजों को सीतामढ़ी सदर अस्पताल रेफर किया जाता है, या फिर उन्हें निजी क्लीनिकों का सहारा लेना पड़ता है। इसके अतिरिक्त, ड्रेसर, कंपाउंडर, स्वास्थ्य निरीक्षक, परिवार नियोजन काउंसलर और एसटीएस जैसे कई महत्वपूर्ण पद भी वर्षों से रिक्त पड़े हैं, जिससे मौजूदा कर्मचारियों पर काम का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। अल्ट्रासाउंड मशीन का नहीं होता इस्तेमाल लगभग चार वर्ष पहले पीएचसी को एक अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन आज तक इसका उपयोग मरीजों के लिए नहीं हो सका है। टेक्निशियन की कमी और उपयुक्त कमरे के अभाव में यह मशीन एक कमरे में बेकार पड़ी है। लंबे समय से अप्रयुक्त रहने के कारण इसके खराब होने की भी आशंका जताई जा रही है।मरीजों की पीड़ा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। चोटिल पैर दिखाने आए रवि कुमार और रोहित कुमार मेहता ने बताया कि पीएचसी में प्लास्टर या सर्जिकल उपचार की सुविधा नहीं है। महिला मरीज रीता देवी ने कहा कि महिला डॉक्टर न होने के कारण उन्हें मजबूरन निजी क्लीनिक जाना पड़ता है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बोले- बेहतर सेवा देने का प्रयास प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कफील अख्तर अंसारी ने बताया कि चिकित्सकों और कर्मियों की कमी को अनुमंडल अस्पताल (एसडीएच) से किसी तरह पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों में बेहतर सेवा देने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन स्थायी समाधान के बिना पुपरी पीएचसी की स्थिति में सुधार मुश्किल है।
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