भास्कर न्यूज| मुंगेर उत्तरी किला गेट की स्थिति भयावह हो गई है। पिछले 6 महीने से गेट से बड़े वाहनों की आवाजाही बंद होने से हजारों लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। शहर के श्मशान घाट, लाल दरवाजा, दालहट्टा, गंगा नगर, चंडिका स्थान, आईटीसी आदि मोहल्ले जाने वाले रोजाना हजारों लोगों को 2 किलोमीटर की अधिक दूरी तय कर किला परिसर प्रशासनिक कार्यालय जाना पड़ता है। इतना ही नहीं लोगों को कष्टहरणी घाट, बबुआ घाट व सोझीघाट जाने के लिए करीब 5 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ रहा है। सूर्यगढ़ा व मेदनीचौकी साइड के लोगों को शव को लेकर अंत्येष्टि करने जो वाहनों को लेकर आते हैं, उन्हें मुख्य बाजार होते हुए श्मशान घाट जाना होता है, जबकि उत्तरी किला गेट ठीक रहने से सीधे श्मशान घाट लाल दरवाजा पहुंच जाते थे। 5 जुलाई को उत्तरी किला गेट का पिछला भाग गिर गया था। पत्थर गिरने से लोग बाल-बाल बच गए थे। सुरक्षा के दृष्टिकोण से पहले जिला प्रशासन ने उत्तरी किला गेट को बंद कर दिया। फिर छठ पूजा के दौरान आधे भाग को खोल दिया। इसके बाद मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब इस होकर बाइक से लोग आवागमन कर रहे हैं। इससे कभी भी हादसा हो सकता है। शनिवार को भी इस होकर बाइक से व पैदल लोग आते-जाते रहे। जबकि यहां की स्थिति खतरनाक है। 16 को आएगी पुरातत्व विभाग की टीम, करेगी जर्जर गेट का निरीक्षण हालांकि जिलाधिकारी निखिल धनराज का कहना है कि उत्तरी किला गेट का निर्माण जल्द शुरू हो जाएगा। किला हेरिटेज बिल्डिंग है, इसलिए इसकी मरम्मत पुरातत्व विभाग की दिशा-निर्देश के तहत ही किया जाएगा। इसको लेकर मंगलवार को जर्जर उत्तरी किला का निरीक्षण करने कला व संस्कृति विभाग अंतर्गत पुरातत्व विभाग की एक टीम आ रही है। पुरातत्व विभाग की टीम के निर्देशानुसार ही उत्तरी किला गेट की मरम्मत करायी जाएगी। बता दें कि इसके पहले उत्तरी किला गेट की मरम्मत के लिए भवन निर्माण विभाग को करीब 10 लाख रुपए का आवंटन प्राप्त हुआ था। भवन निर्माण विभाग ने गेट के मरम्मत का कार्य प्रारंभ भी किया था, लेकिन बाद में कारीगर ने कहा कि पत्थर को हटाकर कंक्रीट की ढलाई कर गेट का निर्माण कराना होगा। हेरिटेज यानी ऐेतिहासिक स्वरूप में जर्जर उत्तरी किला गेट का मरम्मत होना संभव नहीं है।
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