भास्कर न्यूज। बांका अब जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए विक्रेता के नाम पर जमाबंदी, होल्डिंग नंबर या म्यूटेशन का होना अब अनिवार्य नहीं रहेगा। इस फैसले से जहां संपत्ति की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया सरल होगी, वहीं संभावित फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लगेगा। यहीं नहीं पंजीकरण अधिकारी केवल जमाबंदी की अनुपस्थिति के आधार पर रजिस्ट्री को खारिज नहीं कर सकते। साथ ही स्पष्ट किया है कि पंजीकरण अधिकारी को विक्रेता से स्वामित्व का प्रमाण नहीं मांगा जाएगा। स्वामित्व विवादों का निपटारा केवल सिविल कोर्ट का अधिकार क्षेत्र है। इस आदेश से विशेष रूप से उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, जिनकी संपत्तियों का दाखिल-खारिज पुराने सर्वेक्षण, विरासत विवाद या प्रशासनिक देरी के चलते लंबित था। उधर, भूमि सर्वेक्षण के बाद पिछले साल के मुकाबले इस साल तीन हजार रजिस्ट्री कम हुई है। इस फैसले का व्यापक प्रभाव पड़ेगा और लाखों लोगों के लिए संपत्ति लेन-देन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां पुराने रिकॉर्ड, सीमांकन विवाद और भूमि सर्वेक्षण की समस्याओं के कारण जमाबंदी नहीं हो पाती थी, वहां लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। इस फैसले से रैयत खुश हैं, क्योंकि इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि भ्रष्टाचार और कानूनी जटिलताओं में भी कमी आएगी। जानकारी हो कि पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद जमीन रजिस्ट्री के नियम की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। मार्च 2025 तक सर्वे को लेकर जो अफरा तफरी भूमि सर्वेक्षण को लेकर मची, उसका असर जमीन खरीद बिक्री पर भी पड़ा। कोर्ट के फैसले के कारण नियमों में बदलाव हुआ और लोगों को परेशानी हुई। ^सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब नियम में बदलाव हुआ है। बांका जिले के लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। भूमि सर्वेक्षण की वजह से पिछले साल के मुकाबले इस साल अबतक करीब 3 हजार दस्तावेज कम हुआ है। विभागीय लक्ष्य के अनुसार अबतक बांका निबंधन कार्यालय 85 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर चुका है, जिसे नवंबर अंतक तक पूरा कर लिया जाएगा। हेमंत कुमार, रजिस्टार, निबंधन कार्यालय, बांका
https://ift.tt/7Kx8Vmu
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply