इस संवेदनशील मामले को महिला आयोग ने भी संज्ञान में लिया है और जांच शुरू कर दी है. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह टेस्ट न केवल निजता का उल्लंघन है, बल्कि भेदभावपूर्ण भी है.
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