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छपरा में डॉक्टर का अपहरण-दहशत के ढाई घंटे:ऐसा लगा मौत सामने है, वो कभी भी गोली मार देंगे, अब घर नहीं जा पाऊंगा

‘ऑपरेशन के बाद घर पहुंचा ही था कि अचानक बंदूक सामने आ गई। कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला। उन्होंने पिस्तौल दिखाते हुए धमकाकर गाड़ी में बैठा लिया। हर मिनट लग रहा था कि अब शायद घर लौटना नहीं होगा। ऐसा लगा जैसे मौत सामने आ गई है। बचने का कोई रास्ता नहीं। वे लोग कभी भी गोली मार देंगे। थोड़ी सी भीड़ दिखी तो जान बचाने के लिए आंखें बंद करके छलांग लगा दी। पता नहीं किस ताकत से होटल तक पहुंच गया।’ यह दहशत छपरा के डॉ. सजल कुमार की है। बुधवार रात घर के सामने से उनका अपहरण कर लिया गया। साढ़े तीन घंटे बाद बदमाशों के चंगुल से छूटकर घर पहुंचे। वारदात के 23 घंटे बाद पुलिस की बदमाशों से मुठभेड़ हुई, जिसमें दो को पैर में गोली लगी। अब अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टर का अपहरण कैसे हुआ? कैसे बदमाशों से बचकर निकले? किस तरह सड़क पर कूदे? कितने घंटे बाद सुरक्षित घर पहुंच पाए? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ने डॉक्टर से पूरी दहशत की कहानी पूछी। पढ़िए रिपोर्ट.. सबसे पहले पूरी कहानी, हू-ब-हू डॉक्टर की जुबानी… सीन 1- डॉक्टर को घर के सामने से उठा ले गए मैं 17 दिसंबर की रात करीब 10:30 बजे अस्पताल से निकला था। उस दिन ऑपरेशन थोड़ा लंबा चला। सामान्यतः: 9 बजे तक घर आ जाता हूं। उस दिन थोड़ी देर हो गई थी। शरीर थका हुआ था, मन में था कि जल्दी घर पहुंचा तो आराम मिलेगा। मेरा घर अस्पताल से ज्यादा दूर नहीं है, मुश्किल से 2 किलोमीटर। ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। घर का केयरटेकर भी साथ था। रोज का वही रास्ता, वही समय, कुछ भी अलग नहीं लगा। हम घर के गेट पर पहुंचे। गाड़ी जैसे ही रुकी, उसी पल सब कुछ बदल गया। मैं कुछ समझ पाता, उससे पहले ही सामने से दो-तीन लोग तेजी से आए। एक के हाथ में बंदूक थी। उसने सीधे मेरी तरफ तान दी। उस समय दिमाग अचानक सुन्न हो गया। न आवाज निकली, न शरीर हिला। लगा जैसे सब कुछ वहीं रुक गया हो। कौन लोग हैं? क्या कह रहे हैं? क्या करना चाहते हैं? कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। उन्होंने हमें कुछ बोलने तक का मौका नहीं दिया। सीधे कहा- ‘शांत रहो, नहीं तो गोली मार देंगे’। ड्राइवर और केयरटेकर दोनों घबरा गए थे। मैं उन्हें देख रहा था। वो हमारी तरफ देख रहे थे, लेकिन कोई किसी के लिए कुछ कर नहीं पा रहा था। उसी गाड़ी में हमें जबरन बैठा लिया गया और गाड़ी आगे बढ़ने लगी। उनमें से एक मेरे ऊपर पिस्तौल ताने हुए था। अब मुझे ये समझ में आ गया था कि मेरा अपहरण हो गया है। गाड़ी के कुछ दूर आगे बढ़ते ही उन्होंने धमकाना शुरू कर दिया। बार-बार बंदूक दिखा रहे थे। कह रहे थे, अगर किसी को फोन किया या शोर मचाया तो अंजाम बुरा होगा। मेरा दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था। अंदर से एक ही सवाल उठ रहा था, अब क्या होगा? ऐसा लगा जैसे मौत सामने खड़ी है। ये किसी भी समय गोली मार देंगे। सीन 2- चलती गाड़ी से कूदे डॉक्टर धीरे-धीरे वे लोग गाड़ी बाजार की तरफ ले जा रहे थे। मैं सोच रहा था कि ये लोग हमें कहां ले जाएंगे। अभी तक कुछ बोले तो नहीं हैं। न फिरौती मांगी है। क्या मारने के लिए ले जा रहे हैं? या कहीं और छोड़ने के लिए? कुछ साफ नहीं था। यही अनिश्चितता सबसे ज्यादा डरावनी लग रही थी। डर के बीच मैं बाहर देखने की कोशिश कर रहा था। रास्ते, दुकानें, लोग, सब धुंधले से लग रहे थे। ऐसा एहसास हो रहा था कि मानो बाहर कोई है ही नहीं, न मुझे कोई देख रहा है। इस जद्दोजहद के बीच खुद को थोड़ा संभाला। अब मेरे दिमाग में एक ही बात घूमने लगी कि अगर ये लोग हमें किसी सुनसान जगह ले गए तो बचने का कोई रास्ता नहीं रहेगा। मैंने हिम्मत जुटाई, डॉक्टर हूं, रोज मुश्किल हालात देखता हूं, लेकिन यह स्थिति अलग थी। यहां मरीज नहीं था। मेरी अपनी जान दांव पर थी। इसलिए और तेजी से एफर्ट करना था। जैसे-जैसे हम आगे बढ़े, बाजार में ज्यादा लोग दिखने लगे। मुझे पहली बार लगा कि शायद कोई मौका मिल सकता है। लेकिन डर था कि अगर गलत समय पर कुछ किया तो गोली चल सकती है। मैं लगातार सोच रहा था क्या अभी जंप करूं? या थोड़ी देर और इंतजार करूं? फिर एक जगह बाजार में काफी लोग जाते दिखे। मेरे अंदर एक अजीब डर और हिम्मत दोनों साथ आ गए। मैंने तय कर लिया कि अब और इंतजार नहीं कर सकता। अगर अभी नहीं किया तो शायद कभी मौका नहीं मिलेगा। अचानक मैंने गाड़ी का दरवाजा खोला और छलांग लगा दी। उस समय मुझे कुछ महसूस ही नहीं हुआ, न दर्द, न डर। बस खुद को गाड़ी से बाहर फेंक दिया। लोगों की आवाजें आईं। कोई चिल्लाया। गाड़ी शायद रुकी, शायद नहीं, मुझे ठीक से याद नहीं। मैं किसी तरह खड़ा हुआ और बिना पीछे देखे भागने लगा। सीन 3- डॉक्टर ने होटल में घुसकर बचाई जान सामने एक होटल दिखा। मैं सीधे उसी तरफ दौड़ा। शरीर कांप रहा था, सांस फूल रही थी, लेकिन पैर खुद चल रहे थे। होटल के अंदर घुसते ही मैंने दरवाजा पकड़ लिया। वहां मौजूद लोग मुझे देखकर घबरा गए। मेरी हालत देख समझ गए कि कुछ गंभीर हुआ है। उस समय मुझे पहली बार लगा कि शायद बच गया हूं। मैं कुर्सी पर बैठ गया। कुछ देर बाद मैंने खुद को संभाला और पुलिस को सूचना दी। थाना पहुंचकर पूरी बात बताई। ड्राइवर और केयरटेकर के बारे में भी जानकारी दी। पुलिस ने मुझसे एक-एक बात पूछी। कितने लोग थे, कौन-कौन से हथियार थे, किस दिशा में ले जा रहे थे। करीब एक घंटे तक पूछताछ चली। बार-बार वही दृश्य आंखों के सामने आ रहा था। घर का गेट, बंदूक, गाड़ी, धमकी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और भरोसा दिलाया कि कार्रवाई होगी। मैं घर लौटा, लेकिन उस रात नींद नहीं आई। हर आवाज पर चौंक जाता था। बार-बार लगता था कि अगर उस पल हिम्मत न दिखाई होती तो आज यहां नहीं होता। अगले दिन डेढ़ किलोमीटर दूर उस गाड़ी के एक्सीडेंट की सूचना मिली। मेरा ड्राइवर और केयर टेकर भी घायल हैं। ऐसा लग रहा है कि हड़बड़ी में भागते वक्त गाड़ी कहीं टकरा गई। बदमाश गाड़ी छोड़कर भाग गए। अब जानिए पुलिस ने क्या किया, कैसे हुआ एनकाउंटर मामला डॉक्टर को अगवा किए जाने का था। पुलिस तुरंत एक्शन में आई। सारण ‎एसएसपी डॉ. कुमार आशीष के कहने पर SIT (विशेष जांच टीम) बनी। नेतृत्व सदर SDPO-1 ‎राम पुकार सिंह ने किया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से 2 अपराधियों की पहचान की और उन्हें गिरफ्तार किया। उनके सहयोगियों को भी पकड़ा है। अभी तक पांच लोग गिरफ्तार किए गए हैं। पुलिस ने अपराधियों से पूछा कि वारदात में इस्तेमाल किए गए हथियार कहां हैं तो जवाब मिला उसे रिविलगंज थाना क्षेत्र के इनई बगीचा में छुपाया है। इसके बाद पुलिस दोनों को लेकर बगीचा में गई। इसी दौरान अपराधियों ने छिपाए गए हथियार से फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने भी गोली का जवाब गोली से दिया। मुठभेड़ में दो अपराधी गंभीर रूप से ‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎घायल हुए। उनकी पहचान अवतार नगर थाना क्षेत्र के धर्म बागी के सोनू‎ राय और नगर थाना क्षेत्र के दहियावां के रंजन राय के ‎रूप में हुई। दोनों के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस मामले में अब तक 5 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। फरार अपराधियों की तलाश में छापेमारी जारी है। कोई अपराध की भाषा में बात करेगा तो उसी तरह देंगे जवाब: SSP सारण ‎एसएसपी डॉ. कुमार आशीष ने कहा, ‘बंदूक की नोक पर एक डॉक्टर का अपहरण करने की कोशिश की गई। अपहरण सफल नहीं हुआ। इस घटना को हमलोगों ने चैलेंज के रूप में लिया। SIT बनाकर कार्रवाई की। अपराधियों को पकड़ा, उनसे हथियारों की बरामदगी के लिए बात की।’ ‎एसएसपी ने कहा, ‘जब हमलोग बगीचे में पहुंचे तो अपराधियों ने छिपाए गए हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी। इसका जवाब देते हुए संतुलित तरीके से हमलोगों ने फायरिंग की। अपराधियों को गोली लगी है। उन्हें इलाज के लिए हॉस्पिटल लाया गया।’ डॉ. सजल कुमार को उन्हीं के क्लिनिक में काम करने वाले डॉक्टर ने कराया अगवा शुक्रवार शाम को एसएसपी डॉ. कुमार आशीष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उन्होंने कहा, ‘इस मामले में एक और व्यक्ति को पकड़ा गया है। इस पूरे गैंग का खुलासा हुआ है। ये लोग फिरौती के लिए अपहरण का प्रयास कर रहे थे। हमने सभी को पकड़ लिया है। अपराधियों का एक मात्र सहयोगी जो हरियाणा का रहने वाला है वो अभी पकड़ में आने से बचा हुआ है। उसको हमलोग बहुत जल्द पकड़ लेंगे।’ एसएसपी ने कहा, ‘इसमें अब तक जो बात सामने आई है। डॉ. शिव नारायण और उनके सहयोगियों का नाम आया है। शिव नारायण को हमने आज गिरफ्तार किया है। जेल भेज रहे हैं। हमलोगों ने अभी तक 3 हथियार बरामद किए हैं।’ डॉ. कुमार आशीष ने बताया, ‘डॉ. शिव नारायण उन्हीं (डॉ. सजल कुमार) के क्लिनिक में एनेस्थीसिया (मरीज को बेहोश करने की दवा देना) का काम देखते थे। डॉ. सजल ने हाल ही में जमीन खरीदी है। उसे देखकर इन्हें लगा कि इनके पास काफी पैसे होंगे। उन्होंने अपने प्राइवेट बॉडीगार्ड मॉन्टी भारती और हरियाणा के एक सहयोगी के साथ मिलकर प्लान बनाया। 4 अपराधियों (गिरफ्तार हो चुके हैं) को हायर किया। ये लोग 1 करोड़ रुपए से अधिक की फिरौती मांगने वाले थे। हायर किए गए अपराधियों ने करीब 20 हजार रुपए दिए जाने की बात बताई है। डॉक्टर (शिव नारायण) पर पहले से 4 कांड दर्ज हैं।’


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