छठ महापर्व का दूसरा दिन ‘खरना’ आज सोनभद्र सहित पूरे क्षेत्र में मनाया जा रहा है। इस दिन से व्रती महिलाएं 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत करती हैं, जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है। खरना के दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। सूर्यास्त के बाद गुड़-चावल की खीर, रोटी और फल का प्रसाद छठी मैया को अर्पित कर उपवास तोड़ा जाता है। यह प्रसाद बाद में व्रतियों द्वारा ग्रहण किया जाता है। मान्यता है कि खरना के दिन की गई भक्ति से प्रसन्न होकर सूर्य देव और छठी मैया व्रतियों को सुख, समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह दिन छठ पूजा के कठिन अनुष्ठान की वास्तविक शुरुआत का प्रतीक है। बता दे कि खरना का दिन शुद्धता और अनुशासन के पालन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है और पूजा स्थल को पूर्णतः पवित्र रखा जाता है। खरना का प्रसाद बिना नमक, मसाले या किसी तैलीय पदार्थ के तैयार किया जाता है, जिसे सात्विक भोजन माना जाता है। खरना की पूजा सूर्यास्त के तुरंत बाद संपन्न की जाती है। दिनभर निर्जल उपवास रखने के बाद व्रती संध्याकाल में स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं। इसके उपरांत घर में मिट्टी या पीतल के चूल्हे पर प्रसाद तैयार किया जाता है। इस प्रसाद में गुड़ की खीर, रोटी और केले का भोग प्रमुख होता है। पूजा के बाद व्रती सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हुए यह प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे ‘खरना प्रसाद’ कहा जाता है। वही सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज, चोपन, अनपरा, शक्तिनगर, बीजपुर, दूधी, रेणुकूट, ओबरा सहित ग्रामीण इलाकों में छठ पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। रॉबर्ट्सगंज का रामसरोहर तालाब, पोखरा, छोटी नहर और चोपन का सोन छठ घाट विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। बता दे कि सोनभद्र जिला बिहार, झारखंड सहित चार राज्यों से घिरा है। यहां इन चारों राज्यों के लोग निवास करते हैं, जिसके कारण छठ पूजा यहां बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है।
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