छठ महापर्व के दूसरे दिन यानी खरना को नालंदा के सूर्य तीर्थ बड़गांव तंबुओं के शहर में तब्दील हो गया। सूर्य तालाब के किनारे धोती, साड़ी और प्लास्टिक शीट से बने छोटे-छोटे तंबू ही नजर आ रहे हैं। दरअसल, इन तंबुओं में रहकर बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड, पश्चिम बंगाल और देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु भगवान भास्कर की उपासना कर रहे हैं। शनिवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत होने के बाद सूर्य तालाब के किनारे ही तंबू में रहकर तीन दिन भागवान सूर्य की पूजा करेंगे। सोमवार को डूबते सूर्य जबकि मंगलवार सुबह उगते सूर्य की उपासना करेंगे। मन्नत पूरी हुई तो 50 साल से आ रहे हैं विश्व के 12 प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से एक, बड़गांव धाम की महिमा अपरंपार है। यहां आने वाले हर श्रद्धालु के पास अपनी एक कहानी है, अपनी एक आस्था है। नवादा से आईं प्रियंका शर्मा बताती हैं कि मेरे ससुर जी यहां 50 साल पहले से कष्टी (दंडवत प्रणाम) करते थे, उनकी मन्नत पूरी हुई थी। फिर मेरी सास ने यह परंपरा निभाई और अब हम लोग निभा रहे हैं। यहां की महिमा बहुत अपार है। इसी तरह, लखीसराय से आईं लक्ष्मीनियां देवी पिछले 12 सालों से यहां छठ करने आ रही हैं। वह कहती हैं कि मैंने बेटा, नौकरी, धन-पूत सब मांगा, मेरी सारी मन्नतें पूरी हो गईं। उनकी आंखों में छठी मैया के प्रति अटूट विश्वास साफ झलकता है। धोती-साड़ी से बनता है आस्था का आशियाना बड़गांव में कोई बड़ा धर्मशाला नहीं है, इसलिए श्रद्धालु बांस, धोती, साड़ी और प्लास्टिक शीट के सहारे अपना अस्थायी आशियाना बनाते हैं और चार दिनों तक यहीं रहकर पूरा अनुष्ठान करते हैं। लोहंडा (खरना) की शाम तक तालाब के चारों ओर 800 से ज्यादा ऐसे तंबू लग चुके थे। इसी तंबू में प्रसाद बनता है, गीत गाए जाते हैं और परिवार के लोग एक साथ रहकर इस महापर्व को मनाते हैं। कष्टी देकर सूर्य मंदिर तक पहुंचते हैं श्रद्धालु यहां की एक अनूठी परंपरा कष्टी देने की भी है। जिन श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होती हैं, वे सूर्य तालाब में स्नान करने के बाद जमीन पर लेटकर दंडवत प्रणाम करते हुए सूर्य मंदिर तक पहुंचते हैं। प्रशासन ने उनकी सुविधा के लिए तालाब से मंदिर तक लाल कालीन (रेड कारपेट) बिछाया है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। तालाब में गहरे पानी की ओर जाने से रोकने के लिए बैरिकेडिंग की गई है, चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है और सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी की जा रही है। कुल मिलाकर, बड़गांव का यह तंबुओं का शहर पीढ़ी-दर-पीढ़ी बढ़ती आस्था और छठ महापर्व की उस अलौकिक शक्ति का जीवंत प्रमाण है, जो हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर खींच लाती है।
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