चीन ने अपने समुद्री क्षेत्र में इलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक का इस्तेमाल करने पर एक विदेशी जहाज पर कार्रवाई की है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने इस सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना है। चीन में स्टारलिंक पर पूरी तरह प्रतिबंध है और कंपनी के पास वहां सर्विस देने का लाइसेंस भी नहीं है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि जब भी कोई जहाज उनके क्षेत्र में आता है, तो उसे स्टारलिंक टर्मिनल्स का इस्तेमाल तुरंत बंद करना होगा। चीन स्टारलिंक को खतरा क्यों मानता है? चीन में टेलीकॉम और इंटरनेट को लेकर बहुत सख्त कानून हैं। वहां विदेशी कंपनियों को बेसिक टेलीकॉम सर्विस देने की इजाजत नहीं है, और इसमें सैटेलाइट इंटरनेट भी शामिल है। मिलिट्री कनेक्शन से डरता है चीन स्टारलिंक लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स का एक विशाल नेटवर्क है। एपी (AP) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी रिसर्चर्स का मानना है कि स्टारलिंक चीन के रणनीतिक हितों के लिए ‘हाई रिस्क’ है। स्टारलिंक का कम्युनिकेशन डेटा घरेलू इंफ्रास्ट्रक्चर की बजाय विदेशी गेटवे से होकर गुजरता है, जिस पर चीन का कंट्रोल नहीं है। चीन की ‘नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी’ ने 2023 में एक पेपर पब्लिश किया था। इसमें कहा गया कि अमेरिका अपनी मिलिट्री पावर बढ़ाने के लिए स्टारलिंक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है। इसलिए, दूसरे देश इसे परमाणु, अंतरिक्ष और साइबर डोमेन में सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं। मस्क की मोनोपोली तोड़ने की तैयारी सैटेलाइट इंटरनेट की दुनिया में अभी इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की मोनोपोली है। स्टारलिंक दुनिया के 140 से ज्यादा देशों में काम कर रहा है। इसी साल जून में इसे भारत में भी काम करने का लाइसेंस मिल गया है (सोर्स के स्पेसएक्स का ‘फाल्कन 9’ दुनिया का एकमात्र ऐसा रॉकेट है जो रीयूजेबल है (यानी बार-बार इस्तेमाल हो सकता है) और नियमित तौर पर सैटेलाइट लॉन्च करता है। चीन अब इस मोनोपोली को तोड़ना चाहता है। चीन की प्राइवेट रॉकेट कंपनी ‘लैंडस्पेस’ ने हाल ही में अपने नए ‘झुक्यू-3’ (Zhuque-3) मॉडल के साथ रीयूजेबल रॉकेट का टेस्ट किया। हालांकि, यह लॉन्च फेल हो गया, लेकिन रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की कई सरकारी और प्राइवेट कंपनियां अब अपने खुद के रीयूजेबल रॉकेट बनाने और टेस्ट करने की होड़ में लग गई हैं।
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