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‘घर वाले कहते हैं शादी करो-कैसे बताऊं मुझे लड़के पसंद’:बिहार में मैन टू मैन सेक्स से 11 हजार लड़के HIV पॉजिटिव, सोशल मीडिया से मिले

‘घर में मम्मी-बहन के कपड़े पहनता था। तब घर वालों को मजाक लगता था। पढ़ने के लिए पटना आया तो डेटिंग एप से जुड़कर लड़कों से संबंध बनाने लगा। 50 से ज्यादा लड़कों से संबंध बना चुका हूं, ज्यादातर लड़के बिना प्रिकॉशन के ही रिलेशन बनाते थे। कुछ समय बाद कमजोरी महसूस होने लगी, जांच कराई तो HIV पॉजिटिव निकल आया। अब घर वाले कह रहे हैं शादी कर लो, कैसे बताऊं मुझे मर्द पसंद हैं।’ यह कहानी पटना में रहने वाले एक लड़के की नहीं है, बल्कि बिहार में इन दिनों करीब 11 हजार ऐसे लड़के हैं, जो सोशल मीडिया और डेटिंग एप के जरिए एक-दूसरे से जुड़े, मेल टू मेल (MSM) संबंध बनाने लगे। अब HIV पॉजिटिव हो गए हैं। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए बिहार के उन HIV मरीजों की कहानी जो MSM हैं। ये कौन लोग हैं? किस तरह ऑनलाइन एप से मिलते हैं? इनका ग्रुप कैसे काम करता है? बिहार में इनकी संख्या अचानक कैसे बढ़ी है? सबसे पहले तीन लड़कों की कहानी, जो मैन टू मैन रिलेशन में हैं… स्टोरी 1 : मैं डेटिंग एप से जुड़ा, 50 से ज्यादा लड़कों से संबंध बनाए सबसे पहले कहानी शेखर की (बदला हुआ नाम)। 25 साल का शेखर पटना पढ़ने आया था। भागलपुर जिले के एक गांव का रहने वाला है। अपना गेटअप लड़की जैसा बनाए रखता है। रंग एकदम गोरा, चेहरे पर लड़कियों की तरह मेकअप, कान में बाली और लंबे-लंबे बाल। पटना के मुसल्लहपुर हाट इलाके में रहता है। घर वालों को पता नहीं कि बेटा HIV पॉजिटिव है। घर जाने से बचता है। जरूरी काम से जाना पड़े तो पहले अपने बाल कटवा लेता है। हुलिया बदल लेता है। आगे पढ़े, जैसा शेखर ने बताया… मेरा झुकाव औरतों से अधिक पुरुषों की तरफ है। मैंने कभी खुलकर इजहार नहीं किया। क्योंकि हमारे समाज में यह स्वीकार नहीं था। मेरी बहन और मां जिस तरह से सजती-संवरती थी, उसी तरह मुझे भी सजना-संवरना अच्छा लगता है। अपने घर वालों से छिपकर कभी अपनी बहन के कपड़े तो कभी मां की साड़ी पहन लेता था। मां जिस तरह मेकअप करती थी, उसी तरह मैं भी मेकअप करता था। मुझे औरतों के बीच रहना, उन्हीं की तरह सजना संवरना काफी अच्छा लगता था। मेरी हरकतों पर साथ के लड़के मुझे चिढ़ाते थे। शुरुआत में घर वाले इसे मजाक समझते थे, लेकिन जब इस तरह के लुक में रहने का शौक बढ़ने लगा तो मैं डॉक्टर से मिला। उन्होंने बताया कि हार्मोनल डिसऑर्डर की वजह से ऐसा है। मैंने अपने घर वालों को कभी नहीं बताया कि मुझे औरतों के बजाय पुरुष पसंद हैं। मैंने 10वीं तक की पढ़ाई गांव से की। आगे की पढ़ाई करने पटना चला आया। यहां रोकने-टोकने वाला कोई नहीं था। यहां लड़कियों के कपड़े पहनने लगा और औरतों की तरह मेकअप करता था। एक दिन फेसबुक स्क्रोल करते वक्त एक विज्ञापन दिखा ‘नजदीक के लड़कों से दोस्ती करें, 2 KM के इलाके में गे लड़कों से मिलें, अपने जैसे लोगों से मिलें।’ वह एक ऐसा एप था, जहां MSM एक-दूसरे से मिल सकते थे। मैंने एप डाउनलोड किया। प्रोफाइल बनाई और कुछ फोटो अपलोड की। फिर मुझे मैसेज आने लगे। हमारे इलाके के करीब 2 KM दूर तक के लड़के मुझसे जुड़ने लगे। उनसे चैटिंग होती थी। वे सारे अनजान लोग थे। मैसेज आते थे कि क्या आपके पास प्लेस है? अगर प्लेस है तो क्या हम मिल सकते हैं? फिर एक दूसरे से बात होती थी। उसमें हम जानते थे कि वह टॉप है या बॉटम, मतलब कोथी या पंथी। (कोथी- वह पुरुष जो महिला का रोल अदा करे। पंथी- वह पुरुष जो पुरुष से आकर्षित तो है, लेकिन पुरुष का रोल अदा करता है।) मिलने का मुख्य उद्देश्य सेक्सुअल डिजायर था। अगर वह टॉप होता था तो हम उससे मिलते थे। अधिकतर वैसे लड़के होते थे, जो शादीशुदा नहीं हैं। उम्र 40 के आसपास है और शादी नहीं हुई है। कभी मेरे रूम पर लड़के आते तो कभी मैं उनके रूम पर चला जाता था। यह मेरे लिए नया अनुभव था। रोज किसी न किसी से मिलने लगा। नए-नए लड़कों से मिलना और उनके साथ महिला वाला व्यवहार करना मुझे काफी अच्छा लगता था। जो मैं अपने घर नहीं कर सकता था, वह पटना में खुलकर कर सकता था। हमने कभी प्रोटेक्शन यूज नहीं किया। ऐसा लगता था कि महिलाओं के साथ संबंध बनाने के दौरान प्रोटेक्शन यूज करना होता है। मैं 2 साल में 50 से अधिक लड़कों से मिला और संबंध बनाए। इनमें से कई लड़कों से तीन-चार बार भी मिला। एक रात मुझे काफी तेज फीवर आया। रात में दुकानें नहीं खुली थी। अगले दिन सुबह मैंने मेडिकल शॉप से दवा लेकर खा ली। फीवर तो उतर गया, लेकिन अगले दिन फिर से आ गया। करीब एक सप्ताह तक ऐसे ही मेडिकल शॉप से मेडिसिन लेता रहा। दवाई खाने के बाद फीवर उतर जाता, लेकिन फिर से आ जाता था। मैं कमजोर होने लगा, शरीर दुबला-पतला होने लगा। बाद में डॉक्टर से दिखाया। डॉक्टर ने कई जांच कराए। उसमें HIV की भी जांच थी। डॉक्टर ने रिपोर्ट देखकर कहा- तुम HIV पॉजिटिव हो। इतना सुनते ही मैं पूरी तरीके से सन्न रह गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करूं। डॉक्टर का कहना था कि अब बस 6 महीन के मेहमान हो। दिमाग में बस एक वाक्य गूंज रहा था, अब जिंदगी खत्म हो गई। मैं अंदर ही अंदर टूटने लगा कि अपने परिवार को क्या बताऊंगा? अगर उन्हें पता चल गया कि मुझे HIV है तो वे गलत नजर से देखेंगे। डॉक्टर से मुझे एक काउंसलर के बारे में जानकारी मिली। काउंसलर ने मुझे काफी मोटिवेट किया। बताया कि अब HIV एक मैनेजेबल कंडीशन है। लोग रोज दवाएं लेते हैं और सामान्य जिंदगी जीते हैं। तुम अभी जवान हो, ठीक से इलाज कराओगे, दवा रोज लोगे तो पढ़ाई भी करोगे, काम भी करोगे, प्यार भी करोगे। तुम्हें अपनी और दूसरों की सेहत की जिम्मेदारी लेनी होगी। मेडिसिन लेने के लिए मैं PMCH गया। वहां मेरे जैसे कई मरीज थे। उन लोगों से मैंने बात की। पता चला वहां कई लोग हैं जो 10-10 साल से HIV पॉजिटिव हैं। सही समय पर मेडिसिन लेकर जिंदा हैं। मुझे वहां से थोड़ी हिम्मत मिली, लेकिन मैंने जो गलती की उसकी सजा जीवन भर भुगतनी है। मैं किसी को बता नहीं पाता हूं कि HIV पॉजिटिव हूं। इधर घर वाले शादी को लेकर बार-बार दबाव बना रहे हैं। मैं उन्हें कैसे बताऊं कि मुझे पुरुष पसंद हैं, HIV पॉजिटिव हूं। किसी को पता चलता है कि HIV पॉजिटिव हूं तो मेरे साथ गलत व्यवहार करते हैं। जब घर वाले जानेंगे कि HIV पॉजिटिव हूं तो उनपर क्या बीतेगी। यह सोच कर शरीर सन्न हो जाता है। स्टोरी 2 : 100 से अधिक लड़कों से मिला, नफरत करने लगी है पत्नी 35 साल के सूरज (बदला हुआ नाम) इंजीनियर हैं। पटना में कन्स्ट्रक्शन का काम करते हैं। इनके पिता बड़े अधिकारी हैं। सूरज हैं तो पुरुष, लेकिन इसका लगाव पुरुषों से ही है। ऐसे मर्द पसंद हैं, जो महिलाओं की तरह व्यवहार करें। शादी हो गई है। 3 साल का बेटा है। उनका HIV टेस्ट 6 महीने पहले पॉजिटिव आया। सूरज पहले बात करने को तैयार नहीं थे, लेकिन काफी कोशिश के बाद उन्होंने अपनी कहानी बताई। आगे पढ़ें सूरज की कहानी… मेरा व्यवहार पुरुषों वाला ही है, लेकिन ऐसे मर्द पसंद हैं जो महिला का रोल अदा करें। जयपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान लड़कों से करीबी रिश्ते बने। पिताजी के अधिकारी होने और अच्छे घराने से आने की वजह से कभी खुलकर ऐसे काम नहीं किया। अपने घर में भी किसी को नहीं बताया। घर वालों ने शादी करा दी। मैंने अपनी पत्नी को भी नहीं बताया कि मुझे लड़के पसंद हैं। मैंने फेसबुक पर फेक आईडी बनाया था, जिस पर सिर्फ वैसे ही लड़के जुड़े थे, जो हमारे ग्रुप के थे। शादी के बाद भी मैं उन लड़कों से मिलता रहा। जब मुझे किसी से मिलना होता था तो पोस्ट करता कि पटना में कोई मिलना चाहता है? इसके बाद पटना के लड़कों का मैसेज आना शुरू होता था। मैं उनसे बात करता था। जिससे फैंटेसी मैच होती उससे मिलता था। हमलोगों का वॉट्सऐप, टेलीग्राम ग्रुप भी है। उसमे सिर्फ MSM लड़के जुड़े हैं। इसमें बिहार, पटना, हाजीपुर के ग्रुप हैं। बिहार के ग्रुप में पूरे बिहार के लड़के जुड़े हैं। पटना वाले ग्रुप में सिर्फ पटना और इसी तरह हाजीपुर वाले ग्रुप में सिर्फ हाजीपुर के लड़के जुड़े हैं। जब किसी से मिलना होता था तो मैं मैसेज डालता था। ग्रुप में बातचीत के बाद प्राइवेट चैटिंग करता था। फिर वहां वॉट्सऐप नंबर शेयर करता। इसके बाद पर्सनल नंबर पर बात होती थी। मैं अभी तक 100 से अधिक लड़कों से मिल चुका हूं। कभी प्रोटेक्शन यूज नहीं किया। सोचा नहीं था कि लड़कों के साथ रिश्ते बनाने में भी खतरा है। इन्हीं लड़कों में से कोई HIV पॉजिटिव होगा। मुझे आज तक पता नहीं कि वह कौन था। करीब 7 महीने पहले शरीर कमजोर होने लगा। फीवर आने लगा। पहले तो मेडिकल स्टोर से दवाई ली, लेकिन जब ठीक नहीं हुआ तो डॉक्टर से दिखाया। उन्होंने HIV की जांच कराई। मेरा HIV टेस्ट पॉजिटिव आया। अब रात में नींद नहीं आती है। घर में झूठी कहानियां बताता हूं कि इंजेक्शन लेने या ब्लड डोनेट करते समय इन्फेक्टेड हो गया हूं। मेरी वाइफ मुझसे नफरत करने लगी है। मैंने गलती की। पढ़ा-लिखा होने पर ऐसी गलतियां करता रहा। मेरे मन में कभी ख्याल नहीं आया कि किसी से मिलते समय सुरक्षा का ध्यान रखूं। स्टोरी 3: दोस्त के साथ गे पार्टी में गया, घरवाले करने लगे नफरत 27 साल का असलम (बदला हुआ नाम) पूर्णिया का रहने वाला है। अभी पटना में रहता है। वह एक टेलिकम्युनिकेशन कंपनी में काम करता है। असलम MSM है। इसे औरतों से ज्यादा पुरुष पसंद आते हैं। आगे पढ़ें, असलम की कहानी… मैं पूर्णिया से काम करने के लिए पटना आया था। मुझे पुरुष पसंद थे। वैसे लड़के जो हैंडसम हो, देखने में अट्रैक्टिव हो। मैं जहां काम करता था, वहां मेरी तरह की सोच वाला एक लड़का था। उसने एक दिन बताया कि पटना में गे पार्टी होनी है। वह लड़का फेसबुक पोस्ट पर दिए गए एक नंबर पर बात करता था। एक प्राइवेट पार्टी में पटना के 15 से अधिक गे लड़के जुटने वाले थे। मुझे बताया तो मैं भी उस पार्टी में गया। एंट्री के लिए मुझे 500 रुपए दिए। उस रात कई अलग-अलग लड़कों से फिजिकल रिलेशन बना। कई लड़कों से मोबाइल नंबर शेयर किया। इसके बाद मैं अलग-अलग लड़कों से मिलने लगा। कई फेसबुक और वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़ा। वहां नए-नए लड़कों से मिलता था। इस दौरान मैंने ध्यान नहीं दिया कि संक्रमित हो सकता हूं। कभी प्रोटेक्शन यूज नहीं किया। कब HIV इन्फेक्टेड हो गया, पता ही नहीं चला। धीरे-धीरे मेरी तबीयत खराब होने लगी। डॉक्टर ने टेस्ट कराने को कहा। रिपोर्ट HIV पॉजिटिव आया। घरवालों को पता चला तो मुझसे नफरत करने लगे। मुझे घर नहीं आने देते। एक गलती की वजह से आज पूरा जीवन खराब हो गया है। कैसे होता है HIV? कितना खतरनाक है? यह जानने के लिए हमने डॉ. दिवाकर तेजस्वी से बात की। सवाल: HIV क्या है? डॉक्टर: HIV (Human Immunodeficiency Virus) इंसानों को संक्रमित करने वाला वायरस है। यह इंसान के शरीर के फ्लूइड में रहता है। हवा के संपर्क में आने पर इनएक्टिव हो जाता है। इसलिए यह हवा के रास्ते एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता। यह ह्यूमन फ्लूइड (जैसे ब्लड, सीमन, वेजाइनल फ्लूइड, मां के दूध) से फैलता है। सवाल: HIV कैसे हो सकता है? डॉक्टर: जब संक्रमित व्यक्ति के शरीर का फ्लूइड सीधे दूसरे व्यक्ति के शरीर में जाता है तो उसे HIV संक्रमण हो सकता है। इसके चलते फिजिकल रिलेशन बनाने, ब्लड के ट्रांसमिशन और बच्चे को दूध पिलाने के दौरान इसका संक्रमण लगने का खतरा अधिक होता है। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति का खून स्वस्थ इंसान के शरीर में चढ़ाया जाए तो 100% संभावना रहती है कि वह भी HIV पॉजिटिव हो जाएगा। अप्राकृतिक यौन संबंध और हाई रिस्क संबंध में भी इसके चांस काफी ज्यादा रहते हैं। इसी वजह से MSM ग्रुप के लोग सबसे ज्यादा HIV इन्फेक्टेड हो रहे हैं। सवाल: किस तरह के लोग ज्यादा मिल रहे HIV संक्रमित? डॉक्टर: पहले बिहार में अधिकतर इन्फेक्शन माइग्रेंट वर्कर्स में होता था। ये वो लोग हैं जो बिहार से बाहर काम करने जाते हैं। ट्रक ड्राइवर हैं। ये लोग जानकारी के अभाव में घर के बाहर असुरक्षित संबंध बनाते हैं। हाल के 1-2 साल में इंजेक्शन से ड्रग लेने वाले युवाओं में यह बीमारी अधिक फैलने लगी है। इसके अलावा MSM और फीमेल सेक्स वर्कर्स हैं। सवाल: क्या HIV होने के बाद सामान्य जीवन जी सकते हैं? डॉक्टर: अगर कोई मरीज हर रोज दवाई लेता है। अपनी सेहत पर ध्यान देता है तो वह बाकी अन्य सामान्य लोगों की तरह जी सकता है। बस उसे हर रोज दवाई लेनी होगी। यह भी ध्यान रखना होगा कि उससे किसी दूसरे को बीमारी ना लगे। बिहार में MSM से सबसे ज्यादा HIV इन्फेक्टेड यह MSM क्या है? ये लोग कौन हैं? इनका स्वभाव कैसा होता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमने पटना में ऐसे मरीजों की काउंसलिंग करने वाले काउंस्लर और स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले अधिकारियों से बात की। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने हमें बताया कि बिहार में MSM ग्रुप के लोग सबसे ज्यादा HIV इन्फेक्टेड हैं। इनकी संख्या हाल के 4-5 सालों में सबसे अधिक बढ़ी है। HIV को लेकर जब से जागरूकता अभियान शुरू हुआ है, तब से फीमेल सेक्स वर्कर्स और बाकी अन्य लोग भी अनजान लोगों के साथ संबंध बनाने के दौरान प्रोटेक्शन यूज करने लगे हैं। जानकारी और जागरूकता के अभाव में MSM ग्रुप के लोग प्रोटेक्शन यूज नहीं करते। MSM ग्रुप के लोग कैसे मिलते हैं ऑनलाइन पटना सहित पूरे बिहार में MSM के ग्रुप हैं, जो ऑनलाइन डेटिंग एप, वॉट्सऐप या टेलीग्राम ग्रुप से जुड़े होते हैं और आपसी सहमति से मिलते हैं। इनके अंदर बिना किसी प्रोटेक्शन के संबंध बनाने की फैंटेसी सबसे ज्यादा होती है। आज कल प्ले स्टोर पर MSM और गे एप मौजूद हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी इन एप के विज्ञापन दिखाए जाते हैं। विज्ञापन में बताया जाता है कि इस एप के जरिए अपने इलाके के गे पुरुष से मिल सकते हैं। जिसे इसमें रुचि होती है वो इसे डाउनलोड कर लेता है। फिर अपनी आईडी बनाता है और अपनी फैंटेसी प्रोफाइल में लिखता है। इसमें किसी की फैंटेसी कोथी की होती है तो किसी की पंथी की। उसी में कोई डबल डेकर होते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी इसके ग्रुप, प्रोफाइल और पेज बने हैं, जहां ये लोग आपस में बात करते और मिलते हैं। बिहार में 97 हजार लोग ले रहे HIV की दवा बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के मुताबिक, 1 दिसंबर तक बिहार के 32 ART सेंटर से 97,046 लोग HIV की दवाई ले रहे हैं। इनमें से करीब 11 हजार ऐसे हैं, जो MSM रिश्ते के चलते HIV हुए हैं। इस साल पटना में HIV के 1200 नए मरीज सामने आए हैं। साथ ही पटना में टोटल HIV मरीजों की संख्या 7923 हो गई है। इनमें से 4705 मरीज PMCH और 3091 मरीज RMRI और 127 नेताजी सुभाष चंद्र बॉस मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन ले रहे हैं। इसके अलावा मोतिहारी जिले में 400 से अधिक और बेतिया में 300 से अधिक मामले इस साल दर्ज किए गए हैं।


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