औरंगाबाद जिले में शीतलहर के साथ कड़ाके की ठंड और घने कोहरे ने जन-जीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। पिछले तीन दिनों से जिले के विभिन्न इलाकों में पूरा वातावरण घने कुहासे की चादर में लिपटा हुआ है। हालात ऐसे हैं कि लोगों को दिनभर भगवान सूर्य के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं। आसमान सफेद बादलों से पूरी तरह ढंका हुआ है और कनकनी इतनी बढ़ गई है कि लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं। शीतलहर और घने कोहरे के कारण तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। सुबह और शाम के समय ठंडी हवाएं शरीर को झकझोर रही हैं। ठंड से बचाव के लिए लोग जगह-जगह अलाव का सहारा ले रहे हैं, हालांकि प्रशासनिक स्तर पर सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की गई है। अचानक बढ़ी ठंड से बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित हैं। घर से बाहर निकलते ही ठंडी हवा उनके लिए घातक साबित हो रही है। सड़कों पर गाड़ियां और लोगों की संख्या सुबह-शाम हुई कम घने कोहरे का असर यातायात पर भी साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। सड़कों पर चलने वाले वाहनों की रफ्तार काफी धीमी हो गई है, जिससे आवागमन में परेशानी बढ़ गई है। वहीं ठंड के प्रभाव से बुखार, सर्दी-खांसी, सिरदर्द और उल्टी जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या में भी इजाफा देखा जा रहा है। प्रतिदिन सदर अस्पताल में काफी संख्या में ठंड से प्रभावित मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि ठंड को देखते हुए डीएम अभिलाषा शर्मा ने विगत 20 दिसंबर से ही 25 दिसंबर तक स्कूलों की टाइमिंग बढ़ा दी है। सभी शैक्षणिक संस्थानों की टाइमिंग बढ़ा दी गई है। सुबह 10 बजे के बाद से संध्या 4 बजे के पहले तक ही कक्षाओं के संचालन का निर्देश दिया गया है। किसान और पशुपालकों को हो रही परेशानी इस ठंड का सबसे ज्यादा असर किसान और पशुपालक वर्ग पर पड़ रहा है। अचानक मौसम के बदले मिजाज से किसान मुश्किल के दौर से गुजर रहे हैं। कड़ाके की ठंड में भी खेतिहर मजदूरों और किसानों को सुबह से शाम तक खेत-खलिहानों में काम करना पड़ रहा है। जिले के कई इलाकों में अभी तक गेहूं और अन्य रबी फसलों की बुवाई पूरी नहीं हो सकी है, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है। वहीं ठंड बढ़ने से दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।वेटनरी सर्जन डॉ. शैलेंद्र कुमार ने पशुपालकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि अत्यधिक ठंड में पशुओं के शरीर को मोटे कंबल या जूट की बोरी से ढंकना चाहिए। सुबह और सूर्यास्त के बाद पशुओं को खुले आसमान के नीचे नहीं रखें। पशुओं को बासी या टंकी का ठंडा पानी पिलाने से बचें और हमेशा ताजा पानी उपलब्ध कराएं। चारा में सरसों की खल्ली, गेहूं का भूसा और हरा चारा मिलाना लाभकारी है। ठंड के दिनों में गुड़ और शुद्ध सरसों का तेल खिलाने से पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। गौशाला में नमी नहीं होने दें और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। ठंड को लेकर जारी किया गया है ऑरेंज अलर्ट मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार चौबे ने बताया कि औरंगाबाद सहित बिहार के कई जिलों में 20 दिसंबर तक घने कोहरे का रेड अलर्ट जारी किया गया है, जबकि 21 और 22 दिसंबर को ऑरेंज अलर्ट रहेगा। अगले 48 घंटों में कोल्ड वेव का असर और तेज होगा। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से ठंडी और शुष्क पछुआ हवाएं बिहार में प्रवेश कर रही हैं। इसके कारण रात के तापमान में तेजी से गिरावट आ रही है।
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