रेलवे में अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए पहचाने जाने वाले गया जीआरपी थाना अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह आखिरकार खुद सलाखों के पीछे पहुंच गए। जिस पुलिस अफसर का नाम चोर, उचक्कों और लुटेरों पर शिकंजा कसने के लिए लिया जाता था, वही अब यात्री से सोने के बिस्कुट छीनने से जुड़े संगीन आरोप में जेल भेजा गया है। पटना में 8 घंटे की पूछताछ के बाद पहले उनकी वर्दी उतरवाई गई। फिर बुधवार को ही देर शाम मीडिया कर्मियों से बचाते हुए उन्हें रेल न्यायालय में गया में पेश किया गया, जहां से न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। 21 नवंबर को चलती ट्रेन में हुई थी 1.44 करोड़ रुपए के सोने की लूट मामला पिछले महीने 21 नवंबर का है। हावड़ा-जोधपुर एक्सप्रेस ट्रेन में सफर कर रहे एक कोरियर युवक धनंजय शाश्वत से करीब एक किलो वजन के सोने के तीन बिस्कुट छीने जाने का आरोप है। आरोप है कि जांच के नाम पर गया जीआरपी के चार जवान और दो सिविलियन ने युवक को घेर लिया, सोने के बिस्कुट अपने कब्जे में ले लिए और मारपीट कर ट्रेन से उतार दिया। बाद में उसे खाली हाथ छोड़ दिया गया। इस कांड में गया रेल थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह को भी नामजद अभियुक्त बनाया गया। तकनीकी साक्ष्यों, कॉल डिटेल रिकॉर्ड, टावर लोकेशन और अन्य जांच में उनकी संलिप्तता सामने आने के बाद गिरफ्तारी की कार्रवाई हुई। रेल एसपी के निर्देश पर गठित एसआईटी ने पूरे मामले की परत-दर-परत जांच शुरू की है। लूटकांड में नामजद चार आरोपियों को भी किया सस्पेंड इस कांड में नामजद चार जीआरपी जवान, सिपाही करण कुमार, अभिषेक चतुर्वेदी, रंजय कुमार और आनंद मोहन को पटना रेल एसपी ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। वहीं, थानाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह के निलंबन के लिए भी सीनियर अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा गया है। दो सिविलियन अभियुक्तों परवेज आलम और रेल थाना के पूर्व चालक सीताराम की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी जारी है। रेल डीजीपी खुद कर रहे मामले की निगरानी पुलिस मुख्यालय ने इस पूरे प्रकरण को बेहद गंभीरता से लिया है। सूत्रों के मुताबिक डीजीपी खुद मामले की निगरानी कर रहे हैं। एडीजी रेल ने भी पूरे केस का मूल्यांकन शुरू कर दिया है। रेल एसपी गया खुद जांच की कमान संभाले हुए हैं। कांड संख्या 334/25 में बीएनएस की गंभीर धाराओं के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी गई हैं। बताया गया कि पीड़ित कोरियर धनंजय शाश्वत कोलकाता से कानपुर सोने के बिस्कुट ले जा रहा था। घटना के बाद उसने अपने मालिक को जानकारी दी। पहले कोलकाता में मामला दर्ज हुआ, फिर केस पटना रेल एसपी कार्यालय पहुंचा। वहां से गया रेल थाना में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। शुरुआती दौर में ठोस कार्रवाई नहीं होने पर मामला तूल पकड़ गया। खगड़िया के सांसद ने भी डीजीपी से शिकायत की, तब जाकर जांच तेज हुई। इसके बाद जीआरपी ने पीड़ित धनंजय शाश्वत को पूर्णिया से लाकर गया में फर्द बयान दर्ज कराया। अब एसआईटी की जांच जारी है। इस पूरे घटनाक्रम ने जीआरपी की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जो पुलिसिया वर्दी अपराधियों के खिलाफ ढाल मानी जाती थी। वही इस कांड में दागदार हो गई।
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