एजुकेशन रिपोर्टर|दरभंगा नागार्जुन उमेश संस्कृत महाविद्यालय, तरौनी में सोमवार को गीता जयंती का आयोजन आध्यात्मिक और शैक्षिक गरिमा के साथ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. शिवलोचन झा ने की, जबकि विशिष्ट वक्ता के रूप में दर्शनाचार्य डॉ. छबिलाल न्यौपाने उपस्थित थे। शुरुआत श्रीमदभगवद्गीता के सस्वर सामूहिक पाठ से हुई। संयोजक वीर सनातन पूर्णेन्दु राय ने गीता जयंती के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. न्यौपाने ने अपने वक्तव्य में कहा कि गीता मानव को अहंकार और आसक्ति से मुक्त होकर सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। व्याकरणाचार्य डॉ. विभूतिनाथ झा ने गीता के संदेश धर्मसम्मत कर्म और निष्काम भाव को जीवन में अपनाने की जरूरत बताई। डॉ. झा ने गीता के अठारह अध्यायों को युवा पीढ़ी के व्यवहारिक जीवन से जोड़ते हुए गीता-संकल्प लेने का आग्रह किया। उन्होंने गीता, गंगा, गायत्री और गौ को भारतीय संस्कृति के चार आधार-स्तंभ बताते हुए संस्थानों में नियमित गीता-अध्ययन की आवश्यकता पर जोर दिया।कार्यक्रम में कई प्राचार्य, शिक्षकेतर कर्मी तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे और गीता जयंती को आध्यात्मिक उत्सव के रूप में मनाया।
https://ift.tt/8UbgvFd
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply