गया में भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया। यह कार्यक्रम गया समाहरणालय के पास स्थित बाबा साहेब की प्रतिमा स्थल पर आयोजित हुआ। इसमें जिले के प्रमुख अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने संविधान निर्माता डॉ. अम्बेडकर को नमन किया। जिलाधिकारी शशांक शुभंकर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के साथ-साथ सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए संघर्ष किया, जो सदैव प्रेरणादायी रहेगा। आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प श्रद्धांजलि समारोह में अपर समाहर्ता (राजस्व), अपर समाहर्ता (विधि-व्यवस्था), अपर समाहर्ता (लोक शिकायत), ज़िला परिवहन पदाधिकारी और ज़िला पर्यटन पदाधिकारी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। सभी ने प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर बाबा साहेब के आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। उन्होंने बताया कि डॉ. अम्बेडकर ने समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी, जो आज भी प्रासंगिक है। उनके विचार नए भारत के निर्माण की दिशा में मार्गदर्शक सिद्ध हो रहे हैं। कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण विभिन्न कलाकारों की ओर से प्रस्तुत भजन-कीर्तन और डॉ. अम्बेडकर के जीवन पर आधारित गीत थे। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से बाबा साहेब के संघर्ष, शिक्षा के प्रति उनके आग्रह और समानता आधारित समाज के उनके सपने को प्रभावी ढंग से दर्शाया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। आयोजकों ने उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद किया और कहा कि ऐसे आयोजन समाज में जागरूकता तथा समानता की भावना को मजबूत करते हैं। ये बाबा साहेब के विचारों को जन-जन तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लॉ कॉलेज में भी कार्यक्रम भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर अनीश पंकज मेमोरियल लॉ कॉलेज में भी शनिवार को श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिसर में स्थित बाबासाहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। अपने संबोधन में डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने डॉ. अंबेडकर को संविधान निर्माता के साथ-साथ एक महान समाज सुधारक, अर्थशास्त्री और शिक्षाविद् बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने दलित, शोषित और वंचित वर्गों को समान अधिकार दिलाने के लिए जीवनभर संघर्ष किया। डॉ. मिश्रा ने उनके दिखाए मार्ग—समानता, बंधुत्व और सामाजिक न्याय—को प्रेरणा का स्रोत बताया और विद्यार्थियों से उनके सिद्धांतों को जीवन में अपनाने की अपील की। इस अवसर पर डॉ. डी.एन. मिश्रा ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब न केवल संविधान के महान शिल्पकार थे, बल्कि मानवाधिकारों के भी अग्रदूत थे। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों को सम्मानजनक जीवन दिलाने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। डॉ. मिश्रा ने जोर दिया कि अंबेडकर के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और सभी से उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का आह्वान किया। कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में बाबासाहेब के जीवन मूल्यों—समानता, न्याय और मानवता—को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस दौरान भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य राजेंद्र प्रसाद अधिवक्ता, महाविद्यालय के शिक्षकगण और बड़ी संख्या में छात्र भी मौजूद थे।
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