अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 67वें दक्षिण बिहार प्रांत अधिवेशन के तहत तीसरी शाम यानी मंगलवार को शहर में परिषद की ताकत साफ दिखी। परिषद से जुड़े छात्र-छात्राओं ने गया कॉलेज से विशाल शोभा यात्रा निकाली। यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती हुई आगे बढ़ी। हर मोड़ पर जोश दिखा। नारे लगे। भगवा झंडों से सड़कें पट गईं। शोभा यात्रा में 1200 से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए। शोभा यात्रा का नेतृत्व परिषद के राष्ट्रीय मंत्री श्रवण कुमार ने किया। वे हैदराबाद के रहने वाले हैं और बीते तीन दिनों से प्रांत अधिवेशन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। दक्षिण बिहार के अलग-अलग जिलों से आए छात्रों की मौजूदगी ने आयोजन को खास बना दिया। बस स्टैंड के पास शोभा यात्रा खुला अधिवेशन में तब्दील हुई परिषद के अनुसार इस अधिवेशन में कुल करीब 1200 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। बुधवार को अधिवेशन का अंतिम दिन है।शोभा यात्रा आगे चलकर सरकारी बस स्टैंड के समीप पहुंची, जहां यह खुला अधिवेशन में तब्दील हो गई। यहीं परिषद के वरीय पदाधिकारियों ने छात्रों को संबोधित किया। मंच से संगठन की दिशा, शिक्षा व्यवस्था और छात्र हितों से जुड़े मुद्दों को मजबूती से रखा गया। मीडिया से बातचीत में राष्ट्रीय मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि दक्षिण बिहार का यह प्रांत अधिवेशन ऐतिहासिक और अद्भुत है। इतनी बड़ी संख्या में छात्रों की भागीदारी यह दिखाती है कि परिषद की विचारधारा तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि अधिवेशन में एक अहम प्रस्ताव पारित किया गया है। जाति-धर्म आधारित हॉस्टल को समाप्त करने की मांग रखने का प्रस्ताव प्रस्ताव के तहत देशभर में जाति और धर्म के नाम पर संचालित अलग-अलग हॉस्टलों को समाप्त कर सामान्य हॉस्टल खोले जाने की मांग सरकार से की जाएगी। श्रवण कुमार ने कहा कि सामान्य हॉस्टल में सभी जाति और धर्म के विद्यार्थी एक साथ रहेंगे। आपसी समरसता बढ़ेगी। भेदभाव खत्म होगा। यही बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की सोच का वास्तविक स्वरूप है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक समानता भी जरूरी है।इस मौके पर मौजूद विदुषी ने अधिवेशन को नई ऊर्जा देने वाला बताया। कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों में नेतृत्व क्षमता, संगठन और सामाजिक जिम्मेदारी का भाव पैदा करते हैं।
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