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खाने-पानी की शिकायत पर प्रोफेसर ने बाल पकड़कर घसीटा:वीडियो देखकर 4 हजार छात्र बाहर आ गए; वीआईटी में बवाल की इनसाइड स्टोरी

सीहोर के वेल्लूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी वीआईटी यूनिवर्सिटी के कैंपस में छात्रों के हंगामे, आगजनी और तोड़फोड़ के बाद अब माहौल शांत है। हालात को देखते हुए प्रबंधन ने 8 दिसंबर तक छुट्टी घोषित कर दी है। कैंपस में सीहोर और आष्टा का पुलिस बल तैनात है। इस बवाल के बाद पुलिस ने कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रशांत पांडे के खिलाफ केस दर्ज किया है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। दरअसल, प्रशांत पांडे की वजह से ही ये पूरा बवाल शुरू हुआ। कॉलेज की छुट्टी घोषित होने के बाद स्टूडेंट्स अपना सामान समेटकर यहां से जाते हुए दिखे। वीआईटी कैंपस में हुई तोड़फोड़, आगजनी और बवाल की क्या वजह रही, प्रोफेसर पांडे ने छात्रों के गुस्से को कैसे भड़काया? क्या है इस पूरे मामले की इनसाइट स्टोरी। पढ़िए रिपोर्ट… छात्रों से मारपीट, बाल पकड़कर घसीटा
25 नवंबर 2025, रात के लगभग 10 बज रहे थे। सीहोर स्थित वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VIT) के कैंपस में दिनभर की गहमागहमी के बाद एक खामोशी पसर रही थी। छात्र मेस में खाना खाकर अपने-अपने हॉस्टल ब्लॉक की ओर लौट चुके थे। लेकिन यह उस तूफान से पहले की शांति थी, जो अगले कुछ घंटों में इस संस्थान की नींव हिलाने वाला था। इस तूफान का केंद्र बना हॉस्टल का ब्लॉक नंबर 8, जहां के कुछ जूनियर छात्र मेस के खराब खाने और गंदे पानी की शिकायत लेकर अपने असिस्टेंट प्रोफेसर प्रशांत कुमार पांडे के पास पहुंचे थे। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी समस्या सुनी जाएगी, लेकिन जो हुआ, वह किसी ने सोचा भी नहीं था। आरोप है कि प्रोफेसर पांडे ने छात्रों की शिकायत सुनने के बजाय आपा खो दिया और उनके साथ मारपीट शुरू कर दी। छात्रों को बालों से पकड़कर घसीटा गया, उन्हें थप्पड़ मारे गए और जलील किया गया। प्रोफेसर पांडे शायद यह भूल गए थे कि आज के दौर में हर हाथ में एक कैमरा है। उनकी यह पूरी करतूत किसी छात्र ने अपने मोबाइल में कैद कर ली। बस फिर क्या था, घंटे भर के भीतर यह वीडियो क्लिप कैंपस के हर छात्र के मोबाइल फोन पर आग की तरह फैल गई। तीन छात्रों की कथित मौत की अफवाह भी फैली
ठीक इसी समय, एक और खबर ने छात्रों के बीच सुलग रही चिनगारी को हवा दे दी। कैंपस में पीलिया फैलने और कथित तौर पर 3 छात्रों की मौत की खबर के नोटिफिकेशन छात्रों के मोबाइल पर पहुंचे। हालांकि, बाद में प्रबंधन ने इन मौतों की खबर को सिरे से खारिज कर दिया, लेकिन उस वक्त के लिए यह खबर छात्रों के गुस्से को उबाल पर लाने के लिए काफी थी। अपने साथियों के साथ हुई मारपीट का वीडियो और मौतों की खबर ने एक विस्फोटक कॉकटेल तैयार कर दिया था। रात 12 बजे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारों से गूंजा कैंपस
रात के 12 बजते ही, सबसे पहले ब्लॉक नंबर 7 के छात्र अपने कमरों से बाहर निकल आए। देखते ही देखते, सभी 8 बॉयज हॉस्टल और 2 गर्ल्स हॉस्टल के हजारों छात्र-छात्राएं एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के सामने इकट्ठा हो गए। ज्यादातर के चेहरों पर पहचान छिपाने के लिए मास्क लगे थे। माहौल में एक अजीब सा तनाव और गुस्सा था। छात्रों की एक पंचायत हुई और फिर कैंपस ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारों से गूंज उठा। छात्रों ने चीफ वार्डन से आरोपी प्रोफेसर प्रशांत पांडे को सामने लाने की मांग की, लेकिन प्रोफेसर पांडे सामने नहीं आए। इस बीच, छात्रों ने समझदारी दिखाते हुए पहले सभी छात्राओं को सुरक्षित वापस उनके हॉस्टल भेज दिया। यह भी तय किया गया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कोई भी छात्र अपना चेहरा सामने नहीं लाएगा, ताकि बाद में प्रबंधन द्वारा किसी को निशाना न बनाया जा सके। देर रात 1 बजे गुस्साए छात्रों ने शुरू की तोड़फोड़
जब प्रोफेसर को सामने नहीं लाया गया, तो छात्रों का सब्र जवाब दे गया। कुछ छात्र वापस हॉस्टल की ओर गए और यहीं से तोड़फोड़ का सिलसिला शुरू हुआ। जो छात्र जहां से गुजरा, वहां तोड़फोड़ करता गया। हॉस्टल ब्लॉक के रिसेप्शन काउंटर, कांच के दरवाजे और गंदे पानी वाले वाटर कूलर, जो उनकी शिकायत की मूल वजह थे, सबसे पहले गुस्से का निशाना बने। हॉस्टल से बाहर निकलकर छात्रों का हुजूम सबसे पहले चांसलर के बंगले की ओर बढ़ा। बंगले के बाहर लगे कीमती लैंप तोड़ दिए गए और गेट के सामने आगजनी की गई। इसके बाद भीड़ ने पार्किंग एरिया का रुख किया, जहां संस्थान की बसें और अन्य वाहन खड़े थे। यहां का मंजर और भी भयानक था। छात्रों ने एक बस और एक एम्बुलेंस को आग के हवाले कर दिया। आग की लपटें रात के अंधेरे को चीर रही थीं। यहीं खड़ी चार अन्य बसों के शीशे चकनाचूर कर दिए गए। कैंपस में लगे लैंप पोस्ट, दिशा-निर्देश संकेतक और जो कुछ भी रास्ते में आया, उसे उखाड़ फेंका गया। सर्विलांस सेंटर तबाह, पहचान मिटाने की कोशिश
जब तक प्रबंधन के लोग और सुरक्षाकर्मी कुछ समझ पाते, तब तक हजारों छात्रों का यह जत्था कैंपस के मुख्य गेट तक पहुंच चुका था। यहां उनकी नजर पूरे कैंपस की निगरानी के लिए बने आधुनिक सर्विलांस सेंटर पर पड़ी। छात्रों को डर था कि उनकी पहचान सीसीटीवी फुटेज से हो सकती है, इसलिए उन्होंने सेंटर में घुसकर तोड़फोड़ शुरू कर दी। यहां मौजूद सर्वर, मॉनिटर, और तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को तहस-नहस कर दिया गया। कैंपस में लगे लगभग सभी सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए गए। यह एक सोची-समझी रणनीति थी ताकि किसी भी छात्र की पहचान उजागर न हो सके। मेन गेट पर बने सिक्योरिटी गार्ड के केबिन के शीशे भी तोड़ दिए गए। आक्रोशित छात्र जहां-जहां से गुजरे, वहां सिर्फ तबाही और कांच के टुकड़ों का मंजर पीछे छोड़ गए। पूरे कैंपस में 300 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहते हैं, और उस रात भी ड्यूटी पर करीब 150 गार्ड मौजूद थे। लेकिन हजारों गुस्सैल छात्रों के सैलाब के आगे किसी की भी सामने आने की हिम्मत नहीं हुई। वे बेबस होकर तमाशा देखते रहे और पुलिस को बुलाने की गुहार लगाते रहे। रात 3 बजे, कैंपस में पहुंची 5 थानों की पुलिस
रात करीब 2:50 पर, जब हालात पूरी तरह बेकाबू हो गए, तब प्रबंधन ने पुलिस से मदद मांगी। रात 3 बजे, आष्टा के एसडीओपी आकाश अमलकर और टीआई गिरीश दुबे के नेतृत्व में पुलिस की गाड़ियां सायरन बजाती हुई वीआईटी कैंपस की ओर बढ़ने लगीं। छात्रों के उग्र रूप और कैंपस के हालात को देखते हुए आसपास के 5 थानों से अतिरिक्त पुलिस बल बुला लिया गया। एसडीएम नितिन कुमार टाले भी देर रात ही मौके पर पहुंच गए। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने छात्रों को समझाने की कोशिश की और प्रबंधन से बात की। सुबह होते-होते छात्रों का गुस्सा शांत हुआ, लेकिन तब तक कैंपस में चारों तरफ जली हुई गाड़ियां, तोड़फोड़ के निशान नजर आ रहे थे। ​8 दिसंबर तक छुट्टी की घोषणा, छात्रों ने खाली किया हॉस्टल
सुबह होते ही कैंपस में एक अजीब सी दहशत और अनिश्चितता का माहौल था। संस्थान ने ईमेल के जरिए 8 दिसंबर तक छुट्टी की घोषणा कर दी। इसके बाद छात्रों ने हॉस्टल खाली करना शुरू कर दिया। वीआईटी की ओर जाने वाली सड़क पर अपने बैग और सामान के साथ घर लौटते छात्रों की लंबी कतारें लग गईं। कई छात्र इंदौर और भोपाल के लिए निकल पड़े, जबकि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और अन्य दूर-दराज के राज्यों के छात्र सबसे ज्यादा परेशान दिखे। उज्जैन लौट रहे छात्र अर्चित ने बताया, हॉस्टल में रहने लायक हालात नहीं बचे हैं। यहां से निकलना ही बेहतर है। कई छात्रों की शिकायत थी कि उनकी घर वापसी की टिकट कंफर्म नहीं है, लेकिन वे किसी भी हाल में कैंपस में रुकना नहीं चाहते थे। हालांकि, एक छात्रा ने बताया कि गर्ल्स हॉस्टल में बिजली और इंटरनेट की समस्या नहीं थी, लेकिन डर के माहौल में वहां रहना मुश्किल था। प्रबंधन बोला- 3 छात्रों की मौत की खबर बेबुनियाद
इस पूरे घटनाक्रम पर वीआईटी प्रबंधन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। रजिस्ट्रार के.के. नायर ने दैनिक भास्कर को बताया कि कुछ समाचार माध्यमों में पीलिया से 3 छात्रों की मृत्यु की खबरें पूरी तरह बेबुनियाद हैं। इस पूरे घटनाक्रम से संस्थान की छवि को धक्का जरूर लगा है। प्रशासन बोला- प्रबंधन ने हंगामे की सूचना नहीं दी
वहीं, आष्टा के एसडीओपी आकाश अमलकर ने कहा, ‘रात 3 बजे प्रबंधन से हंगामा और तोड़फोड़ की सूचना मिली थी। आधे घंटे में पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई थी। छात्रों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया गया।’ वहीं एसडीएम नितिन कुमार टाले ने कहा कि मुझे प्रबंधन से हंगामे की कोई सूचना नहीं मिली थी। इससे एक दिन पहले हम यहां का दौरा कर चुके थे। आष्टा पुलिस ने छात्रों की शिकायत पर असिस्टेंट प्रोफेसर प्रशांत कुमार पांडे के खिलाफ मारपीट का केस दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। प्रबंधन ने भी प्रोफेसर के बर्ताव की आंतरिक जांच कर एक्शन लेने का आश्वासन दिया है। ये खबरें भी पढ़ें…. जलती VIT यूनिवर्सिटी की 30 तस्वीरें:स्टूडेंट को मारे चांटे…इसके बाद कॉलेज बस और कारें जलकर खाक, जगह-जगह तोड़फोड़ घटिया खाने के विरोध पर चांटे पड़े, लगा दी आग:VIT में दूसरे दिन भी बवाल, बस और बाइकें जलीं, तोड़फोड़; कैंपस में पैरामिलिट्री तैनात


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