लोक आस्था के महापर्व छठ के मौके पर श्रद्धा और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला।सोमवार की सुबह से ही जिले के विभिन्न छठ घाटों पर दर्जनों महिला और पुरुष श्रद्धालु दंडवत प्रणाम करते हुए उत्तर वाहिनी अगुवानी गंगा घाट पहुंचे। मुराद पूरी होने पर निभाई जाती है यह कठिन परंपरा परंपरा के अनुसार, जब छठ व्रत में मांगी गई मुराद पूरी हो जाती है, तो श्रद्धालु सूर्य देव को दंडवत प्रणाम करते हुए नदी तट तक जाते हैं।यह प्रक्रिया अत्यंत कठिन मानी जाती है, क्योंकि भक्त घर या कुलदेवी-देवता के दरबार से नदी किनारे तक लगातार दंडवत करते हुए आगे बढ़ते हैं। कठिन साधना के साथ निभाई जाती है दंड प्रक्रिया दंड प्रणाम की विधि बेहद कठिन होती है। पहले भक्त सीधे खड़े होकर सूर्य देव को प्रणाम करते हैं, फिर पेट के बल ज़मीन पर लेटकर दाहिने हाथ से मिट्टी पर एक रेखा खींचते हैं।इसके बाद उसी रेखा तक बढ़कर दोबारा प्रणाम किया जाता है। यह दोहराव तब तक जारी रहता है, जब तक श्रद्धालु नदी तट तक नहीं पहुंच जाते। महिलाएं भी पीछे नहीं, दिखा अदम्य आस्था का जज्बा इस साधना में केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होती हैं।भगवान भास्कर को प्रसन्न करने के लिए वे किसी प्रकार की कठिनाई से पीछे नहीं हटतीं।मान्यता है कि जो व्यक्ति छठ महाव्रत को निष्ठा और विधिपूर्वक पूरा करता है, वह संतान सुख और जीवन के कष्टों से मुक्ति प्राप्त करता है। अगुवानी घाट पर जुटे सैकड़ों दंडी भक्त प्रसिद्ध उत्तर वाहिनी अगुवानी गंगा तट पर इस वर्ष श्रद्धा का अद्भुत नजारा देखने को मिला।लगभग ढाई सौ महिला और पुरुष श्रद्धालु दंडवत प्रणाम करते हुए घाट तक पहुंचे।ग्रामीणों ने स्वयंसेवा के भाव से घाटों की साफ-सफाई और व्यवस्था में सहयोग किया। 16 वर्षों से निभा रही हैं परंपरा अगुवानी निवासी सुदर्शन प्रसाद सिंह की बेटी प्रिया रानी पिछले 16 वर्षों से लगातार दंड प्रणाम के माध्यम से गंगा घाट पहुंचती आ रही हैं।उनकी इस आस्था ने गांव और इलाके में श्रद्धा और समर्पण की मिसाल पेश की है।
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