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क्रांतिकारियों को कंट्रोल करने के लिए बनी पुलिस:दो सिस्टम- सुपरिटेंडेंट और कमिश्नरेट, 4 लेवल पर होती है एंट्री; जानें डिटेल जानकारी

पुलिस शब्द भारतीयों के लिए बहुत नया है। अंग्रेजों के आने के पहले यहां पुलिस नाम की कोई व्यवस्था नहीं थी। राजाओं के पास सेना होती थी, इन्फेंट्री हुआ करती थी, लेकिन पुलिस जैसा कोई टर्म इजात नहीं हुआ था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की सत्ता हिल गई मगर आंदोलन कुचल दिया गया। अगले साल ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने कंपनी के अधिकारों को समाप्त कर शासन की बागडोर सीधे तौर पर अपने यानी ब्रिटिश क्राउन के हाथों में ले ली। क्रांतिकारियों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस का गठन हुआ ब्रिटिश क्राउन के सत्ता संभालने के बाद ठंडे बस्ते में पड़े इंडियन पीनल कोड यानी IPC को 6 अक्टूबर, 1860 को लाया गया। इसके लिए मैकाले ने अपने 3 साथियों मैक्लीओड, एंडरसन और मिलेट के साथ मिलकर एक कमेटी बनाई। इन चारों की कमेटी से पहला विधि आयोग बना। यही आयोग भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड लेकर आया। 1 जनवरी, 1862 को IPC अस्तित्व में आया। सरकार के विरोध में बगावत करने वाले इंडियन्स पर कंट्रोल करने के लिए अंग्रेजों ने इंडियन पुलिस का गठन किया। इसके लिए वो इंडियन पुलिस एक्ट 1861 लेकर आए। इस एक्ट का उद्देश्य एक प्रोफेशनल पुलिस फोर्स की स्थापना करना था, जिसका मुख्य काम कानून और व्यवस्था बनाए रखना था। इस अधिनियम ने पुलिस बल के संगठन और संरचना के लिए दिशा-निर्देश तय किए। भारत में पुलिस व्यवस्था मुख्य रूप से दो तरीकों से काम करती है— (1) सुपरिटेंडेंट सिस्टम और (2) कमिश्नरेट सिस्टम इन दोनों का ढांचा, अधिकार और काम करने का तरीका अलग-अलग होता है। छोटे शहरों में लागू होता है सुपरिटेंडेंट सिस्टम यह भारत की पारंपरिक पुलिस व्यवस्था है, जो ज्यादातर जिलों, ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में लागू होती है। इस सिस्टम में जिले का पुलिस प्रमुख पुलिस अधीक्षक (Superintendent of Police – SP) होता है। वहीं, कानून-व्यवस्था से जुड़े कार्यकारी अधिकार जिला मजिस्ट्रेट (DM) के पास होते हैं, जैसे- धारा 144 लागू करना, कर्फ्यू लगाना, हथियार लाइसेंस जारी/रद्द करना, भीड़ नियंत्रण से जुड़े आदेश। साथ ही, SP इन मामलों में DM को रिपोर्ट करता है और उनके आदेशों पर कार्रवाई करता है। महानगरों में लागू होता है कमिश्नरेट सिस्टम यह सिस्टम खास तौर पर महानगरों और बड़े शहरों के लिए बनाया गया है। यहां अपराध और कानून-व्यवस्था की चुनौतियां ज्यादा जटिल होती हैं। यहां का प्रमुख अधिकारी पुलिस कमिश्नर (Commissioner of Police – CP) होता है। शहर के आकार और महत्व के अनुसार, पुलिस कमिश्नर का रैंक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (Additional DGP) या महानिरीक्षक (IGP) के समकक्ष होता है। CP के पास वे अधिकार होते हैं जो सुपरिटेंडेंट सिस्टम में DM के पास होते हैं, जैसे- धारा 144 लागू करना, कर्फ्यू लगाना, हथियार लाइसेंस जारी/रद्द करना, भीड़ और कानून-व्यवस्था पर सीधे आदेश देना। यहां पुलिस को सीधे कार्यकारी अधिकार दिए जाते हैं। जब पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रियल पावर भी मिल जाती है, तो उस कमिश्नरेट सिस्टम कहा जाता है। इस सिस्टम में कमिश्नर, इंटीग्रेटेड पुलिस कमांड का प्रमुख होता है और राज्य सरकार को जवाबदेह रहता है। विशेष हालात में NSA या गैंगस्टर एक्ट लागू करने का अंतिम फैसला भी पुलिस कमिश्नर का होता है। पुलिस डिपार्टमेंट में भर्ती 4 एंट्री लेवल पर होती है- 1. कॉन्स्टेबल ये कानून व्यवस्था की सबसे छोटी इकाई होती है। कुछ राज्यों में अगर कॉन्स्टेबल अत्यंत उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड रखे और समय से सभी प्रमोशन पाए, तो सेवानिवृत्ति से पहले SI तक पहुंच सकता है। लेकिन आमतौर पर अधिकांश कॉन्स्टेबल ASI या हेड कॉन्स्टेबल पद तक ही पहुंच पाते हैं। कॉन्स्टेबल की परीक्षा, नियुक्ति और सर्विस पूरी तरह से स्टेट गवर्नमेंट के अधीन होती है। 12वीं पास बन सकते हैं कॉन्स्टेबल कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए कैंडिडेट्स को 12वीं (इंटरमीडिएट) पास होना चाहिए। एज लिमिट आमतौर पर 18 से 25 साल होती है। इसके बाद एक एग्जाम क्लियर करना होगा। इसमें मैथ्स, रीजनिंग, जीएस और कंप्यूटर के क्वेश्चंस पूछे जाते हैं। फिर फिजिकल क्लियर करना होता है। इसके लिए 170 मीटर हाइट और बिना फुलाए चेस्ट का साइज 81 सेंटी मीटर और फुलाकर 85 सेंटी मीटर होना चाहिए। रनिंग 1600 मीटर 6 मिनट में पूरी करनी होती है। लॉन्ग जंप 14 फीट कूदना होता है। वहीं 3 फीट 9 इंच हाई जंप भी करना होगा। हालांकि, अलग-अलग राज्यों कॉन्स्टेबल भर्ती में एजुकेशनल और फिजिकल क्वालिफिकेशन और एज लिमिट अलग-अलग है। साथ ही रिजर्व कैटेगरी के कैंडिडेट्स को छूट भी मिलती है। 2. सब इंस्पेक्टर (SI) इस पोस्ट पर डायरेक्ट भर्ती निकलती है और सिलेक्टेड कैंडिडेट सीधे सब इंस्पेक्टर (SI) बनते हैं। इन्हें चौकी प्रभारी या चौकी इन्चार्ज भी कहा जाता है। SI की परीक्षा, नियुक्ति और सर्विस पूरी तरह से स्टेट गवर्नमेंट के अधीन होती है। SI अदालत के भीतर चार्जशीट दायर करने का काम कर सकते हैं। यानी पुलिस डिपार्टमेंट के भीतर ये सबसे छोटी रैंक है, जो अदालत जा सकती है। इनके ऊपरी रैंक के अधिकारी अदालत जा सकते हैं, जबकि नीचे के रैंक वाले अदालत में चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकते। आम तौर पर इनकी रिटायरमेंट ASP या ACP लेवल पर हो जाती है। सब इंस्पेक्टर के SP बनने का चांस बहुत कम है। ग्रेजुएट्स बन सकते हैं SI किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएट होना चाहिए। 21 से 28 साल के बीच उम्र होनी चाहिए। इसमें 3 स्टेप्स होते हैं- पहला रिटन एग्जाम, दूसरा स्टेप है फिजिकल, जिसमें केवल रनिंग और माप-तौल होती है। तीसरा स्टेप है मेडिकल। भर्ती के लिए 168 सेमी हाइट होनी चाहिए। अगर लड़की हैं तो 152 सेमी हाइट होनी चाहिए। रनिंग में 28 मिनट में 4,800 किमी दौड़ना होता है। लड़कियों को 16 मिनट में 2,400 किमी तय करना होता है। एग्जाम में मैथ, रीजनिंग, जीके और लैंग्वेज के क्वेश्चंस पूछे जाते हैं। 3. डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) DSP पर एंट्री करने वाला PPS यानी प्रोविंशियल पुलिस सर्विस होता है। इसके लिए स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन (PCS) एग्जाम क्लियर करना होता है। इसमें आगे चलकर IPS बनने का मौका होता है। ये अधिकतम DIG की पोस्ट तक पहुंच सकते हैं। स्टेट PSC क्लियर करने वाले बनते हैं DSP स्टेट PSC परीक्षा के लिए कैंडिडेट्स के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। हालांकि, कुछ राज्यों में अपियरिंग यानी फाइनल ईयर के कैंडिडेट्स भी आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा एज लिमिट आमतौर पर 21-40 साल (अलग-अलग राज्यों अलग-अलग) है। इसके अलावा, DSP पद के लिए फिजिकल फिटनेस अनिवार्य होता है। पुरुषों की लंबाई- 165 से 168 सेमी और महिलाओं की लंबाई 150–152 सेमी होनी चाहिए। UPPCS, BPSC, MPPSC, RPSC, UKPSC जैसी हर राज्य PCS की डिटेल एलिजिबिलिटी उसके आधिकारिक नोटिफिकेशन में दी जाती है। 4. असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP) ASP पर एंट्री करने वाला इंडियन पुलिस सर्विस यानी IPS होता है। इनकी भर्ती केंद्र सरकार करती है, जो आगे चलकर राज्यों को अलॉट कर देती है। UPSC क्लियर करने वाले बनते हैं ASP UPSC सिविल सर्विस परीक्षा (CSE) क्लियर करने वाले कैंडिडेट्स ASP बनते हैं। इसके लिए किसी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन डिग्री होनी चाहिए। प्रोफेशनल डिग्री होल्डर्स यानी MBBS, इंजीनियरिंग, CA आदि ग्रेजुएट भी इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं। कैंडिडेट्स की एज 21 से 32 साल के बीच होनी चाहिए। IPS के लिए फिजिकल स्टैंडर्ड बहुत अहम हैं। पुरुष की लंबाई 165 सेमी और महिला की लंबाई 150 सेमी होनी चाहिए। 89 इंच छाती का फुलाव होना चाहिए। इसके अलावा, Myopia −4.00D तक और Hypermetropia +4.00D तक होना चाहिए। साथ ही, कलर ब्लाइंडनेस नहीं होना चाहिए। ———————–


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