Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज के दरबार में एक परिवार पहुंचा और स्वयं को नीम करोली बाबा का भक्त बताते हुए पूछा कि अब बाबा सशरीर नहीं हैं, इसलिए वे प्रेमानंद जी को गुरु स्वरूप मान रहे हैं. क्या यह गुरु अपराध माना जाएगा? इस विषय पर उन्होंने मार्गदर्शन की इच्छा जताई.
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