क्या शेयर बाजार पास कर पाएगा टाटा कैपिटल-एलजी IPO ‘टेस्ट’, दांव पर लगे हैं 27 हजार करोड़!
अगले हफ्ते भारत के प्राइमरी मार्केट में काफी हलचल देखने को मिलेगी. टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स बड़े आईपीओ लाने की योजना बना रहे हैं. इन आईपीओ का कुल साइज 27 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का देखने को मिल रहा है. ऐसा पहली बार होगा जब इतने बड़े साइज के दो आईपीओ एक साथ ओपन होंगे. इससे पहले पेटीएम और एलआईसी के आईपीओ का किस से तरह से हश्र देखने को मिला था, ये सब जानते हैं.
यही वजह है कि जानकार इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या गिरते शेयर बाजार में इतनी क्षमता है कि वो दोनों आईपीओ हजम कर सके. ऐतिहासिक रूप से बड़े आईपीओ ने निवेशकों को अलग-अलग रिटर्न दिया है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि लिक्विडिटी की कोई कमी नहीं है. आने वाला हफ्ता इन नई लिस्टिंग के लिए निवेशकों की मांग तय करेगा.
अगर पिछली कुछ आईपीओ लिस्टिंग को देखें तो 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के मेगा इश्यू का निवेशकों को रिटर्न देने का रिकॉर्ड बेहद निराशाजनक रहा है. जुलाई में एचडीबी फाइनेंशियल का 12,500 करोड़ रुपए का आईपीओ लिस्टिंग के दिन 14 फीसदी बढ़ा, लेकिन अब अपने इश्यू प्राइस से सिर्फ 4 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहा है. पिछले साल एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी का 10,000 करोड़ रुपए का आईपीओ अभी भी अपने 108 रुपए के इश्यू प्राइस से नीचे है.
पेटीएम अपने इश्यू प्राइस से 50 फीसदी नीचे कारोबार करता हुआ दिखाई दे रहा है. वहीं एलआईसी का इश्यू प्राइस 902 से 949 रुपए के बीच था, जो मौजूदा समय में 900 रुपए के आसपास ही है. जबकि कंपनी का इश्यू साइज 21 हजार करोड़ रुपए का था. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर दोनों आईपीओ को शेयर बाजार हजम कर सकेगा या नहीं.
अगले आ रहे हैं दो मेगा आईपीओ
अगले हफ्ते शेयर बाजार को दोहरी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा क्योंकि टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स एक के बाद एक अरबों डॉलर के आईपीओ ला रहे हैं, जबकि सेंसेक्स और निफ्टी एक साल के स्थिर रिटर्न के बाद सुस्त पड़े हैं. सोमवार को टाटा कैपिटल द्वारा 15,500 करोड़ रुपए और उसके एक दिन बाद एलजी द्वारा 11,600 करोड़ रुपए के दो बड़े आईपीओ आने से पहले से ही सुस्ती के संकेत दिखा रहे बाजार से कैश खत्म होने का खतरा है.
इन दोनों आईपीओ के कुल साइज की बात करें तो 27,000 करोड़ से ज्यादा का है. जो भारत के प्राइमरी मार्केट में शायद ही कभी देखा गया हो. एक के बाद एक आने वाले आईपीओ ने जहां हलचल मचा दी है, वहीं इसने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या सुस्त सेकेंडरी मार्केट बिना किसी अस्थिरता के इतनी भारी सप्लाई को झेल पाएगा.
इसलिए उठ रहे हैं सवाल
अगर बीते कुछ सालों के पन्नों को पलटकर देखें तो इतने बड़े आईपीओ से रिटर्न की अपेक्षा करना थोड़ा बेमानी सा लगता है. 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के मेगा इश्यू का निवेशकों को रिटर्न देने का रिकॉर्ड बेहद निराशाजनक रहा है. जुलाई में एचडीबी फाइनेंशियल का 12,500 करोड़ रुपए का आईपीओ लिस्टिंग के दिन 14 फीसदी की तेजी के साथ बढ़ा था, लेकिन अब अपने इश्यू प्राइस से सिर्फ 4 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहा है.
पिछले साल एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी का के आईपीओ का साइज 10,000 करोड़ का था, जो अपने 108 रुपए के इश्यू प्राइस से नीचे कारोबार कर रहा है. अगर बात पेटीएम की करें तो इसका साइज 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का था, और इश्यू प्राइस 2000 रुपए से ऊपर का था, जो मौजूदा समय में 50 फीसदी से नीचे कारोबार करता हुआ दिखाई दे रहा है. वहीं एलआईसी के आईपीओ को कौन भुला सकता है, जिसका आईपीओ का साइज 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का था और इश्यू प्राइस 949 रुपए था, मौजूदा समय में 900 रुपए के आसपास मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है.
वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे मेगा आईपीओ भी रहे जिन्होंने इस भ्रम को तोड़ने की कोशिश कर है. जिसमें हुंडई मोटर और स्विगी जैसे आईपीओ शामिल हैं. हुंडई मोटर का आईपीओ साइज 27,870.16 करोड़ रुपए का और इश्यू प्राइस 1960 रुपए था, जो मौजूदा समय में 2500 रुपए के पार कारोबार कर रहा है. वहीं दूसरी ओर स्विगी का आईपीओ साइज 11,327.43 रुपए और इश्यू प्राइस 390 रुपए था, जो मौजूदा समय में 415.85 रुपए पर है जो कि 600 रुपए के पार भी चला गया था.
क्या कहते हैं जानकार?
एसबीआई सिक्योरिटीज के सनी अग्रवाल ने ईटी की रिपोर्ट में कहा कि कई कंपनियां लिस्ट हो रही हैं, और उनके लिए ऑफर्स आ रहे हैं, लेकिन ज़्यादातर कंपनियों में प्राइस तलाश करना काफी मुश्किल है क्योंकि ज़्यादातर इश्यू की पूरी कीमत लग चुकी है और नए निवेशकों के लिए बहुत कम मूल्य बचता है. आईपीओ की भीड़ ने यह सवाल उठाया है कि क्या प्राइमरी मार्केट सेकेंडरी मार्केट को नुकसान पहुँचा रहा है, लेकिन बाजार के दिग्गज इस चिंता को खारिज करते हैं.
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के एमडी प्रणव हल्दिया ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि मैं इस सिद्धांत से सहमत नहीं हूं कि प्राइमरी मार्केट सेकेंडरी मार्केट से लिक्विडिटी को सोख लेता है और कोविड के बाद पिछले 5 सालों ने इसके पर्याप्त प्रमाण दिए हैं, जब दलाल स्ट्रीट पर आईपीओ की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और बाजार भी चौगुना हो गया है. उ
न्होंने आगे कहा कि कल भी, अगर आपके पास 20,000-30,000 करोड़ रुपए का कोई बड़ा आईपीओ आता है, तो अच्छे वैल्यूएशन वाला मार्केट आसानी से समाहित हो जाएगा. वैसे कुछ जानकारों का कहना है कि अगले हफ्ते दो आईपीओ आने से शेयर बाजार में हलचल तो पैदा हो गई है. सवाल यही है कि क्या निवेशक एक हफ्ते में 27,100 करोड़ रुपए जुटा पाएंगे या नहीं. फेस्टिव सीजन में यह भारत के प्राइमरी मार्केट के उत्साह की अंतिम परीक्षा होगी.
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