पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वक्फ संपत्तियों को मौजूदा नियमों के तहत सख्ती से संरक्षित किया जाएगा और कोई भी उन्हें जबरन अधिग्रहित नहीं कर सकता है।
नदिया के कृष्णानगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए कई कल्याणकारी उपाय किए हैं, जिनमें 10,000 कब्रिस्तानों का निर्माण और ओबीसी आरक्षण लाभों का विस्तार शामिल है।
उन्होंने कहा, “हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि वक्फ संपत्ति में नियमों का पालन होगा। अब मुतवल्ली (मस्जिद के न्यासी) इसका पालन करेंगे। हम किसी को भी वक्फ संपत्ति हासिल करने की अनुमति नहीं देंगे।”
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि चुनाव में मुस्लिम समुदाय से भारी समर्थन हासिल करने के बावजूद मुख्यमंत्री ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया है।
उन्होंने दावा किया, “जिसे 2021 में 92 प्रतिशत और 2024 में 91 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे, उसने अब वक्फ के मुद्दे पर समुदाय को गड्ढे में धकेल दिया है।”
अधिकारी ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने वक्फ की कई एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है, यही वजह है कि सरकार केंद्र के ‘उम्मीद’ पोर्टल पर संपत्ति के आंकड़े अपलोड करने की प्रक्रिया में देरी कर रही है।
उन्होंने कहा कि जहां अन्य राज्यों ने वक्फ संपत्ति के विवरण तुरंत अपलोड कर दिए हैं, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार की “उदासीनता” के कारण लगभग 80,000 संपत्तियां लंबित पड़ी हैं।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, “केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा 27 अक्टूबर, 18 नवंबर और चार दिसंबर को तीन पत्र भेजे गए थे। इसके बाद ही मुख्यमंत्री के सचिव पी.बी. सलीम जागे और उन्होंने जिला मजिस्ट्रेटों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया।”
निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान ने “टीएमसी के दोहरे मापदंड” को उजागर किया है।
कबीर ने कहा, “पहले उन्होंने कहा था कि वे वक्फ संशोधन अधिनियम लागू नहीं करेंगी, लेकिन फिर उनकी सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया। और अब वे जनता को गुमराह करने के लिए फिर से भ्रामक बयान दे रही हैं। टीएमसी सिर्फ वोटों के लिए इस समुदाय का इस्तेमाल कर रही है।
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