भास्कर न्यूज| पूर्णिया भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में मखाना उत्पादन प्रौद्योगिकी और सुधार को सशक्त बनाने के लिए वैज्ञानिकों का पांच दिवसीय अभिमुखीकरण सह प्रायोगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महाविद्यालय के वैज्ञानिकों को मखाना की वैज्ञानिक खेती, प्रसंस्करण और अनुसंधान में नवीनतम तकनीकों से अवगत कराने के साथ-साथ संस्थान को मखाना अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट केंद्र बनाना है। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. डीके महतो ने किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. दुनिया राम सिंह का लक्ष्य भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय को मखाना का राष्ट्रीय ज्ञान केंद्र बनाना है। मखाना के माध्यम किसानों की आय बढाने के साथ-साथ बिहार कृषि विश्वविद्यालय को एक अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित करना है। वहीं विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने भी पूर्णिया में मखाना विकास पर विशेष जोर दिया है। मार्गदर्शन में हम एकीकृत अनुसंधान, आधुनिक प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना और किसान-वैज्ञानिक संवाद को मजबूत करने पर कार्य कर रहे हैं। यह प्रशिक्षण उसी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के उद्देश्यों के साथ कदम मिलाकर भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय अब मखाना अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है। यह प्रशिक्षण हमारे वैज्ञानिकों के ज्ञान को सशक्त बनाएगा और उन्हें किसानों तक बेहतर तकनीक पहुंचाने में सक्षम करेगा। इस अवसर पर महाविद्यालय के वैज्ञानिकगण, शोधार्थी और तकनीकी अधिकारीगण उपस्थित रहे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में महाविद्यालय के डॉ. जनार्दन प्रसाद, डॉ. मणि भूषण ठाकुर, डॉ. आशीष रंजन, डॉ. शशि रंजन प्रताप सिंह, डॉ. नरेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. शशिकांत दिवाकर, डॉ. रवि रंजन कुमार, डॉ. अनुपम कुमारी, डॉ. जय प्रकाश प्रसाद, डॉ. माचा उदय कुमार, डॉ. कंचन भामिनी, डॉ. अभिनव कुमार, डॉ. शुभ लक्ष्मी, डॉ. विभा कुमारी, डॉ. मीनू मोहन, डॉ. आशीष चौरसिया, स्नेहा, डॉ. चुन्नी कुमारी, अमरेन्द्र कुमार, डॉ. नुदरत संजीदा अखतर, डॉ. बाल कृष्ण, डॉ. चेतना सीके एवं डॉ. प्रीति सुंदरम के साथ साथ 25 से अधिक वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं, जो मखाना अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा और प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। पांच दिवसीय प्रशिक्षण के बाद वैज्ञानिक एक कार्य योजना प्रस्तुत करेंगे, जिससे मखाना उत्पादन तकनीक को और अधिक व्यवहारिक और किसान-हितैषी बनाया जा सके। यह प्रयास भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया को मखाना अनुसंधान के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय मॉडल संस्थान के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। कार्ययोजना प्रस्तुत करेंगे वैज्ञानिक
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