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कैसे निकलेंगे चैपियन:खेल ग्राउंड नहीं…पार्क और बैंक्वेट हॉल में प्रैक्टिस कर ला रहे मेडल

ग्राउंड नहीं, फिर भी खेल रहे, पदक भी ला रहे। बिहार के कई खेलों के खिलाड़ी बिना तय मैदान और बुनियादी सुविधाओं के अभ्यास करने को मजबूर हैं। लेकिन, जज्बे के दम पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं। आत्या-पात्या, बॉल बैडमिंटन, पिकल बॉल, गतका, जूडो-कराटे जैसे खेलों के खिलाड़ी कभी पार्क, कभी निजी मैरेज हॉल और कभी सरकारी कैंपस में प्रैक्टिस कर रहे हैं। कंकड़बाग के एमआईजी पार्क में रोज 25-30 खिलाड़ी जमीन पर चूने से बनाए गए घेरे में आत्या-पात्या का अभ्यास करते हैं। जज्बा : जहां जगह मिल रही, वहां कर रहे प्रयास आत्या-पात्या के कोच और एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक, 1996 से खेल होने के बावजूद पटना में स्थायी ग्राउंड नहीं मिला। कई जगह के बाद अब एमआईजी पार्क में अभ्यास चल रहा है। बॉल बैडमिंटन के खिलाड़ी किलकारी कैंपस, जबकि पिकल बॉल के खिलाड़ी रामनगरी के एक बैंक्वेट हॉल में प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। बिहार पिकल बॉल एसोसिएशन के सचिव रंजन गुप्ता कहते हैं-एक डेडिकेटेड ग्राउंड मिल जाए तो बिहार के खिलाड़ी और ज्यादा मेडल जीत सकते हैं। गतका के खिलाड़ी हाईकोर्ट के पास बिजली विभाग के कैंपस में सुबह-शाम अभ्यास कर रहे हैं। वहीं जूडो-कराटे में कई संघों के चलते मान्यता का विवाद खिलाड़ियों के भविष्य पर भारी पड़ रहा है। इन खेलों में पदक जीते सभी खेलों के लिए होगा ग्राउंड : उपमुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने साउथ एशिया बॉल बैडमिंटन चैंपियनशिप के पुरस्कार वितरण समारोह में भरोसा दिलाया कि बिहार में खेले जा रहे सभी प्रमुख खेलों के लिए ग्राउंड और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।


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