कैमूर में धान की कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने के मामलों पर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। कृषि विभाग ने सघन जांच अभियान चलाकर 95 किसानों को पराली जलाते हुए चिह्नित किया है। इन किसानों का निबंधन लॉक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिसके बाद उन्हें अगले तीन साल तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है और मिट्टी की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए कृषि विभाग ने जिले के विभिन्न प्रखंडों में यह अभियान चलाया। पराली जलाने की घटनाओं पर रोक जिला अधिकारी के निर्देश पर फसल अवशेष प्रबंधन को मजबूत करने और पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सभी प्रखंडों में निगरानी बढ़ाई गई है। कृषि विभाग के कर्मियों को खेतों की गतिविधियों पर नजर रखने और शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि पराली जलाने में शामिल पाए गए 95 किसानों का निबंधन लॉक किया जा रहा है। निबंधन लॉक होने के बाद ये किसान अगले तीन वर्ष तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे। यह कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण और फसल अवशेष के वैज्ञानिक प्रबंधन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जा रही है। किसानों को जागरूक करने के लिए चल रहा अभियान प्रशासन किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान भी चला रहा है, ताकि वे परंपरागत तरीके से पराली न जलाएं। इसके बजाय, उन्हें कृषि यंत्रों और वैकल्पिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और प्रदूषण कम हो। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि पराली जलाने की अगली घटनाओं पर और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जिले में निगरानी अभियान जारी रहेगा।
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