राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बालक-बालिका प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण अविवाहित छात्रों को आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत पात्र विद्यार्थियों को 10,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि सीधे डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खाते में भेजी जाती है। इसके लिए छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है। हालांकि, कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड से इस योजना की जमीनी हकीकत सामने आ रही है। चैनपुर प्रखंड के सुआवल उच्च विद्यालय की छात्रा दुर्गा कुमारी ने बताया कि उसने पिछले वर्ष मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने के बाद योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि नहीं पहुंची आवेदन के दौरान आधार कार्ड, दसवीं का रिजल्ट, रजिस्ट्रेशन कार्ड, पहचान पत्र, जाति प्रमाण पत्र समेत सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड किए गए थे। इसके बावजूद अब तक उसके बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि नहीं पहुंची है। पटना जाकर संपर्क करने की सलाह दी गई छात्रा ने जब इस संबंध में जिला शिक्षा कार्यालय से जानकारी ली तो उसे पटना जाकर संपर्क करने की सलाह दी गई। दुर्गा कुमारी का कहना है कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह और उसके पिता पटना जाकर दौड़-भाग करने में असमर्थ हैं। छात्रा की आगे की पढ़ाई प्रभावित होने की आशंका प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने से छात्रा की आगे की पढ़ाई प्रभावित होने की आशंका है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि योजनाओं का लाभ पात्र छात्रों तक समय पर क्यों नहीं पहुंच पा रहा है और जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं।
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