बिहार सरकार द्वारा खेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य की सभी पंचायतों में मनरेगा के तहत लगभग 10 लाख रुपए की लागत से खेल मैदान निर्माण की योजना चलाई जा रही है। हालांकि, कैमूर जिले में इस योजना की जमीनी हकीकत चिंताजनक सामने आई है। कई पंचायतों में खेल मैदान का निर्माण गुणवत्तापूर्ण तरीके से नहीं कराया गया है, जिससे राशि के दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं। भभुआ प्रखंड की कुड़ासन पंचायत के महेसुआ गांव स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय परिसर में बने खेल मैदान की स्थिति बेहद खराब है। वार्ड सदस्य सुनील कुमार ने बताया कि निर्माण के बाद स्थिति सुधरने के बजाय और खतरनाक हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्य केवल दिखावे के लिए किया गया है और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया। मिट्टी भराई का आश्वासन दिया गया था विद्यालय के प्रधानाध्यापक अरुण कांत पांडे ने जानकारी दी कि यह 10+2 माध्यमिक विद्यालय है, जिसमें मध्य विद्यालय भी संचालित होता है। उन्होंने बताया कि खेल मैदान बनने के बाद बरसात में पानी भर जाता है, जिससे बच्चों को विद्यालय आने-जाने और खेलने में परेशानी होती है। मिट्टी भराई का आश्वासन दिया गया था, लेकिन वह अब तक पूरा नहीं हुआ। रनिंग ट्रैक अधूरा है, और वॉलीबॉल का सिर्फ एक पोल लगाया गया है, जबकि बैडमिंटन कोर्ट बना है। मुख्यमंत्री मनरेगा योजना के तहत बना यह खेल मैदान अधूरा छोड़ दिया गया उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक चंदन शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनरेगा योजना के तहत बना यह खेल मैदान अधूरा छोड़ दिया गया है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि इससे बच्चों को खेल के प्रति प्रोत्साहित करने की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है और यह केवल धन के दुरुपयोग का मामला प्रतीत होता है। इस संबंध में भभुआ प्रखंड के मनरेगा पदाधिकारी ने बताया कि उनकी हाल ही में पोस्टिंग हुई है। उन्होंने कहा कि रोजगार सेवक से उन्हें कार्य होने की जानकारी मिली है, लेकिन वे स्वयं स्थल का निरीक्षण करेंगे। जांच के बाद ही वास्तविक स्थिति और आगे की कार्रवाई स्पष्ट की जाएगी।
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