कैमूर के मोहनिया थाना क्षेत्र में अपराध नियंत्रण को लेकर पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। बीते मंगलवार को वार्ड संख्या-12 में सचित कुमार हत्याकांड के नामजद आरोपी हलीम अली की दिनदहाड़े पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। यह घटना न सिर्फ कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति को उजागर करती है, बल्कि पुलिस की सक्रियता और निगरानी व्यवस्था पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाती है। हलीम अली एक संगीन हत्या मामले का नामजद आरोपी था। इसके बावजूद वह बिना किसी डर के शहर में खुलेआम घूम रहा था। यदि पुलिस समय रहते उसकी गिरफ्तारी कर लेती, तो संभवत इस वारदात को टाला जा सकता था। चौंकाने वाली बात यह रही कि हत्या के बाद जब पुलिस ने मृतक की पहचान की, तब जाकर यह स्पष्ट हुआ कि मारा गया व्यक्ति पहले से हत्या के एक मामले में आरोपी था। तीन आरोपी गिरफ्तार, अन्य की तलाश जारी हालांकि घटना के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए इस हत्याकांड से जुड़े तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया है। अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। बावजूद इसके, यह सवाल बना हुआ है कि नामजद आरोपी इतने लंबे समय तक पुलिस की पकड़ से बाहर कैसे रहा। बढ़ता अपराध, अधूरे केस पिछले कुछ महीनों में मोहनिया थाना क्षेत्र में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। बरेज इलाके में महिला की हत्या कर शव को घर के भीतर बोरे में छिपाने की घटना अब तक अनसुलझी है। इसी तरह कई अन्य मामलों में भी आरोपी खुलेआम घूमते नजर आ रहे हैं, जिससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस की पकड़ कमजोर, जनता में डर हलीम अली की हत्या ने यह साफ कर दिया है कि अपराधियों पर पुलिस की पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है। अपराध नियंत्रण को लेकर पुलिस के दावे जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते। नतीजतन, आम लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल गहराता जा रहा है।
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