इंडिगो की लगातार फ्लाइट कैंसिलेशन और देरी के पीछे जो वजह अब तक ‘क्रू शॉर्टेज’ बताई जा रही थी, वह शायद पूरी कहानी नहीं है। जब इस मामले की हकीकत जानने के लिए हमने उप मुख्य उड़ान प्रशिक्षक (Deputy Chief Flight Instructor) कैप्टन आनंद चौरसिया से बात की, तो तस्वीर बिल्कुल अलग सामने आई। कैप्टन चौरसिया के अनुसार, पायलट मौजूद थे…लेकिन कंपनी ने उन्हें रोस्टर भेजा ही नहीं। रोस्टर पहुंचे बिना कोई पायलट ड्यूटी पर कैसे जाएगा? बिना शेड्यूल के कोई एयरपोर्ट कैसे पहुंचे? उन्होंने साफ कहा कि यात्रियों को एयरपोर्ट पर खड़ा छोड़कर जो हालात बनाए गए, वह किसी गलती का नतीजा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति की तहत लगते हैं, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके। एयरपोर्ट बुलाकर हंगामा करवाया
कैप्टन आनंद चौरसिया कहते हैं कि फ्लाइट्स कैंसिल होने वाली थीं, इसका पहले से सबको पता था। इसके बावजूद यात्रियों को एयरपोर्ट बुलाया गया। घंटे भर लाइन में लगवाया, चेक-इन करवाया और फिर वहीं लोगों को खड़ा छोड़ दिया। जाहिर है, इतनी भीड़ होगी तो हंगामा होगा ही। कंपनी ने जानबूझकर ऐसा किया, ताकि जब सबका धैर्य टूटे और गुस्सा फूटे, तो पूरा दबाव सीधे सरकार पर पड़े। एक घटना का जिक्र करते हुए कैप्टन आनंद ने कहा कि नोएडा से पालम आने में दो घंटे लगते हैं। पहले मैसेज डाला जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया ताकि लोगों के गुस्से को कंपनी भुना सके। 1000 टैक्सी का किराया भी लगवाए। यह कौन देगा वापस? कितने लोगों की कनेक्टिंग उड़ान, डॉक्टर अपॉइंटमेंट, अंतिम संस्कार आदि छूट गए। ये देशद्रोह जैसा कृत्य है। कॉस्ट कटिंग से सेफ्टी पर असर
आनंद कहते हैं सरकार कि मॉनिटरिंग टीम को देखना चाहिए था कि ये कितनी कॉस्ट कटिंग और सेफ्टी को लेकर खेल रहे हैं, एक दिन में चार-चार, पांच-पांच सेक्टर करवा रहे हैं। हमारा काम बहुत कंसंट्रेशन का होता है, टेकऑफ और लैंडिंग में। मॉर्निंग 12 घंटे रेस्ट कभी मिलता ही नहीं। कोई स्विच तो लगा नहीं है कि तुरंत सो जाएंगे। शेड्यूल कभी फिक्स नहीं। DGCA ने रूल में चेंज किया, ताकि कंसंट्रेशन बना रहे और रातभर बैल की तरह काम न करना पड़े। यह नियम जनता की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे। पायलट की कमी नहीं है, हायरिंग नहीं होती
पायलट्स की कमी नहीं है। बहुत हैं। मगर ट्रेनिंग नहीं करवाई जा रही है। पायलट 60-70 घंटे महीने में कर सकते हैं। वहीं, पायलट फिट न हो तो उड़ान से मना कर सकता है, इसके जवाब में आनंद कहते हैं कि कर सकता है, और करना चाहिए। पर कंपनियां मानती नहीं, जब तक खून न दिखे शरीर पर तब तक कोई नहीं मानता की बीमार है। बस यही सच्चाई है। नियम रोके गए तो सेफ्टी पर फर्क पड़ेगा
कैप्टन आनंद ने कहा कि नियम बदले गए तो सेफ्टी पर फर्क पड़ेगा। आप सोचिए अगर आप थके हो तो गाड़ी कैसे चलाओगे? 100 किमी/घंटे की रफ्तार की जगह 50 पर चलाओगे, ताकि झपकी आए तो आप सुरक्षा के लिए कुछ कर पाएं? यही पायलट के साथ होता है। पायलट भी इंसान है, उन पर भी कई प्रेशर हैं। परिवारों की जिम्मेदारी भी होती है, लाइसेंस रिन्यू , मेडिकल रिन्यू आदि बहुत काम होते हैं। उन्हें परिवार के साथ-साथ ये सब खुद करना है। एक को पूरी पावर नहीं देनी चाहिए
आनंद ने कहा कि ये लोग सिर्फ जनता को लूट रहे हैं, देना कुछ नहीं चाहते। पूरा भारत परेशान हुआ। हर सिस्टम पर लोड पड़ा, एयरलाइन, ट्रेन, रोड हर जगह। ये बड़ी कम्पनियों के कारण छोटी एयरलाइनों को अवसर ही नहीं मिलता है। सरकार को किसी एक को पूरी पावर नहीं देनी चाहिए। प्रभावी ढंग से छोटी एयरलाइंस को भी खड़ा करना चाहिए। पायलटों पर दोष डालना आसान
आनंद ने कहते हैं, जब पायलट मर जाता है, सारा दोष उसी पर डाल देते हैं। जो दिखता नहीं, उसी को दोष दिया जाता है। ये कंपनियों की सोची-समझी नीति है। हम लोग आम आदमी हैं। नॉर्मली निचोड़ दिए जाते हैं। ये खबर भी पढ़ें… इंदौर आने-जाने वाली 18 फ्लाइट कैंसिल मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर एयरपोर्ट से इंडिगो की उड़ानें प्रभावित चल रही हैं। सोमवार को भी इंदौर के देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट पर यात्री परेशान होते रहे। एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार, आज इंदौर आने-जाने वाली 18 फ्लाइट कैंसिल हैं। पूरी खबर पढ़ें
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