केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी महिला को सिर्फ इसलिए पति से भरण-पोषण पाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह कमाई करने में सक्षम है या कभी-कभार काम करती है। कोर्ट ने साफ किया कि अगर पत्नी की आमदनी स्थायी नहीं है या वह खुद का खर्च नहीं उठा पा रही है, तो वह भरण-पोषण की हकदार है। जस्टिस कौसर एडप्पगाथ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा- कमाई करने की क्षमता’और वास्तव में पर्याप्त कमाई करने में फर्क है। कोर्ट ने शैलजा बनाम खोब्बन्ना (2018), रजनीश बनाम नेहा (2021) और सुनीता कछवाहा बनाम अनिल कछवाहा (2014) मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर पत्नी कुछ कमा भी रही है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है, तो वह भरण-पोषण मांग सकती है। मामला एक महिला की याचिका से जुड़ा है, जिसने वह अपने पति से अलग रहने के बाद खुद और दो बच्चों के लिए भरण-पोषण की मांग की थी। महिला ने बताया कि वह सिलाई जानती है, लेकिन स्थायी काम नहीं है और आमदनी भी पर्याप्त नहीं है। उसने पति पर मानसिक और शारीरिक क्रूरता का आरोप लगाया और कहा कि इसी कारण वे अलग रह रहे हैं। सर्वे- तलाक के लिए 42 फीसदी पुरुषों ने कर्ज लिया अक्टूबर में देश की एक वित्तीय सलाहकार कंपनी का सर्वे सामने आया था। बताया था कि शादी के बाद 42% पुरुषों ने तलाक से जुड़े खर्चों के लिए कर्ज लिया। 46 प्रतिशत महिलाओं ने सवेतन काम छोड़ दिया या कम कर दिया। यह सर्वे ‘वन फाइनेंस एडवाइजरी कंपनी’ ने टियर-I और टियर-II शहरों में 1,258 तलाकशुदा या तलाक के लिए आवेदन कर चुके लोगों पर किया। सर्वे में बताया गया कि 29 प्रतिशत पुरुषों ने गुजारा भत्ता देने के बाद खुद को नकारात्मक निवल मूल्य की स्थिति में पाया। सर्वे के अनुसार, पुरुषों की सालाना आय का 38% हिस्सा भरण-पोषण में चला गया। तलाक से जुड़े खर्चों में 19% महिलाओं ने 5 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किए। वहीं, 49 प्रतिशत पुरुषों ने भी इतना ही खर्च किया। 67% ने पैसे को लेकर बहस की बात मानी
सर्वे में 67 प्रतिशत लोगों ने माना कि शादी के दौरान उनकी अक्सर पैसों को लेकर बहस होती थी। 43 प्रतिशत ने कहा कि वित्तीय विवाद या असमानता ही उनके तलाक का सीधा कारण बना। शादी के समय 56 प्रतिशत महिलाएं अपने पति से कम कमाती थीं। केवल 2% महिलाएं ही पति से ज्यादा कमाती थीं। पैसे का अंतर तलाक की बड़ी वजह वन फाइनेंस के सह-संस्थापक और सीईओ केवल भानुशाली ने कहा था कि शादीशुदा पुरुषों और महिलाओं के बीच वित्तीय असंगति तलाक का बड़ा कारण होती है। अलगाव की लागत तनाव बढ़ाती है और अस्थिरता को जन्म देती है। इसलिए भावनात्मक तैयारी जितनी जरूरी वित्तीय तैयारी भी होती है।
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