इस वर्ष 30 नवंबर तक लगीं 4 लाख 79 हजार 446 इकाइयां
चुनावी साल होने के बाद भी बिहार में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की 4 लाख 79 हजार 446 इकाइयां लगीं। 2025-26 में इस मामले में बिहार ने देश के 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से बाजी मारी है। केवल महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्यप्रदेश जैसे 9 राज्य ही इस मामले में बिहार से आगे हैं। राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी ऐसे ही हैं। भारत सरकार की ओर से संसद में दिए गए जवाब के तहत पेश आंकड़ों से इसका पता चलता है। ये आंकड़े 30 नवंबर तक के हैं। आंकड़ों की मानें ताे राज्यों के औद्योगिक विस्तार की सूची में जरूर बिहार अच्छी उपस्थिति दिखा रहा है, लेकिन राज्य के ही पिछले तीन साल के आंकड़ाें में यह सबसे कम है। 2024-25 में उद्यम पोर्टल पर 11,28,025 इकाइयों का निबंधन हुआ था। 2023-24 में संख्या 16,31,465 था। हालांकि, 2023-24 से पहले लघु उद्योगों के लगने के आंकड़े कम थे। 2022-23 में यह 321253, 2021-22 में 219536 और 2020-21 में 89788 थे। जाहिर है कि 2023-24 से एमएसएमई इकाइयों के लगने में आई तेजी के पीछे बिहार सरकार की औद्योगिक नीति की भी असरकारक भूमिका रही है। इससे मिलने वाले प्रोत्साहन से बड़ी संख्या में लोग उद्यम की स्थापना के लिए प्रेरित हुए हैं। झारखंड के दोगुने से अधिक उद्यम की यहां स्थापना हुई
झारखंड के दोगुने से भी अधिक लघु उद्यम इस साल बिहार में लगे हैं। झारखंड में बिहार के 479446 के मुकाबले 2025-26 में केवल 179840 लघु उद्यम लगे। इससे पहले के वर्षाें में भी लघु उद्योगों के निबंधन का आंकड़ा बिहार की तुलना में कम ही रहा है। आबादी और विस्तार के हिसाब से भी बिहार के बड़ा होने के कारण यह आंकड़ा असहज नहीं करता है। परंतु, झारखंड के औद्योगिक राज्य होने और बिहार में औद्योगिक माहौल अपेक्षाकृत कम होने के कारण यह थोड़ा चौंकाता जरूर है। स्वरोजगार : राज्य में अधिकतर लग रहे सूक्ष्म और कुटीर उद्योग
सालभर में लघु उद्यमों के लगने का आंकड़ा तो जरूर भारी-भरकम है। परंतु, दैनिक भास्कर की पड़ताल में यह सामने आया है कि उनमें से अधिकतर सूक्ष्म और कुटीर उद्योगों जैसी इकाइयां हैं। सूक्ष्म उद्योगों में ज्यादातर एक व्यक्ति अपना कोई धंधा चलाता है। वहीं कुटीर उद्योगों में दो-तीन लोग घर में रहकर ही किसी सामग्री का उत्पादन हाथ से ही करते हैं। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे केपीएस केसरी कहते हैं कि मैनुफैक्चरिंग की अगर हम बात करें तो कुल इकाइयां कुछ हजार में होंगी। सूक्ष्म और कुटीर उद्योगों में अधिकतर स्वरोजगार ही मिलते हैं।
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