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कृत्रिम बारिश के लिए कानपुर से उड़ा विमान:दिल्ली में क्लाउड सीडिंग शुरू, 15 मिनट से लेकर 4 घंटे में बारिश हो सकती है

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का पहला ट्रायल किया गया। इसके लिए मंगलवार को कानपुर से स्पेशल विमान ‘सेसना’ ने उड़ान भरी थी। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया- आज क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया है। IIT कानपुर से सेसना प्लेन ने उड़ान भरी थी। प्लेन मेरठ की ओर से आया और खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार, नार्थ करोल बाग में क्लाउड सीडिंग की गई। इसमें 8 फ्लेयरर्स का प्रयोग किया गया है। आधे घंटे तक प्रोसेस चला है। दूसरा और तीसरा ट्रायल भी आज होगा। 15 मिनट से लेकर 4 घंटे में बारिश हो सकती है। अगले कई दिनों तक ये इसी तरह से शॉर्टी चलती रहेगी। बता दें दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए ऐसे कॉमर्शियल व्हीकल्स की एंट्री पर रोक लगा दी है, जो बीएस-6 (BS-VI) मानकों के अनुरूप नहीं हैं। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने आदेश जारी किया। मंगलवार सुबह AQI 306 से रिकॉर्ड किया गया। यह सोमवार को 315 से कम था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, इस गिरावट के बावजूद, एअर क्वालिटी अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। VT-IIT की 2 तस्वीरें देखिए… ।IT कानपुर के स्पेशल एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल होगा क्लाउड सीडिंग के लिए DGCA ने पहले ही परमिशन दे दी थी। 23 अक्टूबर को राज्य सरकार ने राजधानी में पहली बार कृत्रिम बारिश का सफल टेस्ट किया था। दिवाली के बाद से लगातार एयर क्वालिटी में तेजी से गिरावट आई है। राजधानी की हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। IIT कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया- दिल्ली ट्रायल का रिहर्सल हो चुका है। अब केवल बादलों का इंतजार है, जैसे ही अनुकूल मौसम बनेगा, दिल्ली की हवा को राहत देने के लिए कृत्रिम बारिश करा दी जाएगी। प्रो. अग्रवाल के अनुसार, कृत्रिम बारिश के लिए सिल्वर आयोडाइड और नमक जैसे रसायनों को मिलाकर विशेष मिश्रण तैयार किया जाता है। इसे विमान के उपकरणों में भरकर बादलों के बीच छोड़ा जाता है। फायरिंग के जरिए रसायन के फैलाव से बादलों में नमी बढ़ती है और बारिश होती है। इस तकनीक से लगभग 100 किलोमीटर के क्षेत्र में बारिश कराई जा सकती है। ट्रायल डेटा से बड़े प्लान की तैयारी
दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि सर्दियों से पहले वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके, जब प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है। यह कोशिश एन्वायर्नमेंट एक्शन प्लान 2025 का हिस्सा है। ट्रायल से जो डेटा मिलेगा, वह भविष्य में क्लाउड सीडिंग को बड़े पैमाने पर लागू करने में मदद करेगा। भारत में इससे पहले भी कई बार ऐसे क्लाउड सीडिंग हो चुकी हैं। भारत में 1983, 1987 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा तमिलनाडु सरकार ने 1993-94 में ऐसा किया गया था। इसे सूखे की समस्या को खत्म करने के लिए किया गया था। साल 2003 में कर्नाटक सरकार ने भी क्लाउड सीडिंग करवाई थी। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी ऐसा किया जा चुका है। सोलापुर में क्लाउड सीडिंग से 18% ज्यादा बारिश
वैज्ञानिकों की एक स्टडी में पाया गया कि महाराष्ट्र के सोलापुर में क्लाउड सीडिंग से सामान्य स्थिति की तुलना में 18% ज्यादा बारिश हुई। यह प्रक्रिया सिल्वर आयोडाइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे कणों को बादलों में फैलाकर बारिश को बढ़ाते हैं। 2017 से 2019 के बीच 276 बादलों पर यह प्रयोग किया गया, जिसे वैज्ञानिकों ने रडार, विमान और स्वचालित वर्षामापी जैसे आधुनिक उपकरणों से मापा। जानें GRAP के स्टेज GRAP-I लागू, N95 या डबल सर्जिकल मास्क पहनने की सलाह GRAP-I तब सक्रिय होता है जब AQI 200 से 300 के बीच होता है। इसके तहत, एनसीआर में सभी संबंधित एजेंसियों को 27 निवारक उपायों को सख्ती से लागू किया जाना है। इनमें एंटी-स्मॉग गन का उपयोग, पानी का छिड़काव, सड़क निर्माण, मरम्मत परियोजनाओं और रखरखाव गतिविधियों में धूल नियंत्रण करना शामिल हैं। गाजियाबाद के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शरद जोशी ने बचाव के लिए सभी को बाहरी गतिविधियों के दौरान N95 या डबल सर्जिकल मास्क पहनने की सलाह दी है। पराली जलाना भी प्रदूषण की एक वजह, इसे रोकने के लिए कानून भी बना उत्तर और मध्य भारत में दिवाली के बाद पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस वजह से प्रदूषण बढ़ने की रफ्तार भी तेज होने लगती है। दिल्ली के सबसे नजदीक हरियाणा और पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलाई जाती है। 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। इससे किसानों को पराली का सफाया करने में परेशानी होने लगी। केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) अधिनियम 2021 के तहत पराली जलाने पर नियम लागू किए। इसके मुताबिक 2 एकड़ से कम जमीन पर पराली जलाने पर 5,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। 2 से 5 एकड़ जमीन पर 10,000 रुपए और 5 एकड़ से ज्यादा जमीन पर पराली जलाने पर 30,000 रुपए का जुर्माना लगता है। दिल्ली के इन इलाकों में कराई जा रही है कृत्रिम बारिश


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