सहरसा के नौहट्टा प्रखंड के किसान दिलीप सादा ने मखाना की खेती से साबित कर दिया कि सही फसल और मेहनत से सीमित संसाधनों में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। पहले धान और गेहूं से गुजारा करने वाले दिलीप अब मखाना से हर सीजन लाखों रुपए कमा रहे हैं। मखाना की खेती से आर्थिक बदलाव दिलीप बताते हैं कि कोसी क्षेत्र की जलभराव वाली जमीन में मखाना की खेती करने से उनकी आमदनी 50 हजार की लागत पर 3 लाख से अधिक तक पहुंच गई। वे लगभग 4 बीघा में खेती करते हैं और हर दिन 25-30 किलो मखाना निकालते हैं। फसल तैयार होने पर व्यापारी सीधे खेत पर आकर खरीद लेते हैं, जिससे परिवहन और भंडारण की चिंता नहीं रहती। मेहनत का फल दिलीप सादा कहते हैं, “मखाना निकालना आसान नहीं है, लेकिन मेहनत बेकार नहीं जाती।” जलभराव वाले तालाब में लंबे समय तक काम करना पड़ता है और फसल सुखाने के बाद ही बाजार में भेजी जाती है। किसानों के लिए नई राह पिछले दस वर्षों से मखाना की खेती में जुटे दिलीप ने न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति सुधार ली है, बल्कि इलाके में एक सफल किसान के रूप में पहचान भी बनाई है। उनकी सफलता ने साबित कर दिया है कि जलभराव वाली भूमि भी किसान के लिए अवसर बन सकती है।
https://ift.tt/nAUmqBt
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply