किशनगंज में निजी स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार तेजी से हो रहा है, लेकिन इन पर नियंत्रण का अभाव है। स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जिले में केवल 125 निजी नर्सिंग होम और अस्पताल पंजीकृत हैं। हालांकि, वास्तविक स्थिति यह है कि 500 से अधिक निजी नर्सिंग होम बिना वैध पंजीकरण और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की अनुमति के संचालित हो रहे हैं। ये निजी क्लिनिक और नर्सिंग होम शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में छोटे मोहल्लों तक फैल गए हैं। कई स्थानों पर तो एक ही कमरे में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इन संस्थानों में डॉक्टरों की डिग्री और ऑपरेशन थिएटर जैसी बुनियादी सुविधाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। मनमाना शुल्क वसूल रहे मरीज नेपाल सीमा से सटा होने के कारण किशनगंज में मरीजों की संख्या अधिक रहती है। इसका लाभ उठाकर अवैध नर्सिंग होम मरीजों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। जिले के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पंजीकरण के लिए क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत सख्त नियम हैं। अधिकांश निजी नर्सिंग होम के पास फायर सेफ्टी, बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल और योग्य स्टाफ जैसी आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं, जिसके कारण वे पंजीकरण कराने से बचते हैं। सरकारी अस्पताल में नहीं मिलता बेड ठाकुरगंज निवासी मोहम्मद शकील ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा, “सरकारी अस्पताल में बेड नहीं मिलते और लंबी लाइनें लगानी पड़ती हैं। ऐसे में मजबूरी में निजी नर्सिंग होम जाना पड़ता है, जहां सामान्य डिलीवरी के लिए भी 10-15 हजार रुपये तक लिए जाते हैं।” किशनगंज में स्वास्थ्य सेवाओं की यह स्थिति एक गंभीर चुनौती पेश करती है, जहां पंजीकृत अस्पताल सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं सैकड़ों अवैध नर्सिंग होम मरीजों की मजबूरी का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।
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