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किशनगंज में सैनिक स्टेशन जमीन अधिग्रहण पर विवाद:AIMIM विधायकों ने DM को ज्ञापन सौंपा, पुनर्विचार की मांग

किशनगंज के कोचाधामन और बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्रों में एक प्रस्तावित सैनिक स्टेशन के लिए लगभग 250 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को लेकर स्थानीय लोगों में गहरा असंतोष है। इस मामले में, AIMIM के विधायकों ने जिलाधिकारी विशाल राज से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने प्रस्तावित स्थल के पुनर्निर्धारण की मांग की है। AIMIM के बहादुरगंज विधायक मोहम्मद तौसीफ आलम और कोचाधामन विधायक सरवर आलम ने अपने ज्ञापन में बताया कि कोचाधामन अंचल के सतभिंगा और कन्हैयाबाड़ी मौजा, साथ ही बहादुरगंज अंचल के शकोर और नटवापाड़ा मौजा में प्रस्तावित भूमि ईदगाह, मस्जिद, कब्रिस्तान और आवासीय क्षेत्रों से सटी हुई है। यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील है। ‘ग्रामीणों की आजीविका मुख्य रूप से कृषि और पशुपालन पर निर्भर’ विधायकों ने यह भी उल्लेख किया कि इन क्षेत्रों के ग्रामीणों की आजीविका मुख्य रूप से कृषि और पशुपालन पर निर्भर करती है। भूमि अधिग्रहण से बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो सकते हैं, जिसका स्थानीय सामाजिक और धार्मिक ताने-बाने पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान प्रस्तावित स्थल उपयुक्त नहीं विधायकों ने क्षेत्र का निरीक्षण करने और ग्रामीणों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान प्रस्तावित स्थल उपयुक्त नहीं है। उन्होंने ज्ञापन में स्पष्ट किया कि सभी लोग सैनिक स्टेशन के निर्माण की आवश्यकता और उसके महत्व को समझते हैं, लेकिन सार्वजनिक हित, धार्मिक संवेदनशीलता और ग्रामीणों के हितों को देखते हुए स्थल पर पुनर्विचार आवश्यक है। जिलाधिकारी से तीन प्रमुख मांगें की विधायकों ने जिलाधिकारी से तीन प्रमुख मांगें की हैं। पहली, वर्तमान प्रस्तावित भूमि के अधिग्रहण पर तत्काल रोक लगाई जाए। दूसरी, संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर विवादरहित और गैर-आवासीय क्षेत्र में वैकल्पिक भूमि की पहचान की जाए। तीसरी, ग्रामीणों की भावनाओं, धार्मिक स्थलों की गरिमा और सामाजिक सद्भाव को ध्यान में रखते हुए पूरे मामले की गहन समीक्षा की जाए। भूमि अधिग्रहण को लेकर आक्रोश बढ़ रहा इस मुद्दे ने स्थानीय स्तर पर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण को लेकर आक्रोश बढ़ रहा है। जानकारों का मानना है कि यदि समय रहते वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, तो यह मामला और अधिक जटिल हो सकता है। जिलाधिकारी ने ज्ञापन स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया है कि इस मामले को संबंधित विभागों तक पहुंचाया जाएगा।


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