बिहार में महंगाई बढ़ते ही कालाबाजारी और जमाखोरी पर एक्शन होगा। सरकार ने इसकी पूरी तैयारी की है। इसके लिए हर जिले के ग्रामीण और शहरी बाजारों से रियल टाइम डाटा मंगाया जाएगा। कहीं कोई गड़बड़ी मिली तो तुरंत सख्त कार्रवाई होगी। इसके आंकड़े हर महीने जिलावार जारी किए जाएंगे। भारत सरकार के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन ने बिहार में इसकी तैयारी शुरू की है। संगठन की एडिशनल डायरेक्टर जनरल सुजाता भास्कर ने इस हफ्ते पटना का दौरा कर इससे जुड़ी डिजिटल प्रक्रिया को मुकम्मल करने का निर्देश दिया है। पटना शहर में महंगाई का पारा कितना चढ़ा है, इसकी जानकारी बोरिंग रोड की 17 दुकानों में सामग्री की कीमतों से होगी। इन दुकानों को एनएसएसओ ने चिन्हित किया है। जानिए… महंगाई से बचाने की कवायद कैसे बिहार के सभी 38 जिलों के 117 ग्रामीण और 37 शहरी बाजारों से रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली वस्तुओं की कीमतों को हर दिन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा। इसके आधार पर आमलोगों के लिए तो महंगाई के आंकड़े महीने में एकबार जारी किए जाएंगे। परंतु, केंद्र या राज्य सरकार की एजेंसियों के मांगे जाने पर एनएसएसओ किसी खास इलाके में किसी सामग्री की किसी खास दिन की कीमत तुरंत उपलब्ध करा सकेगा। मान लीजिए कि किसी महीने में पता चलता है कि बांका जिले में महंगाई दूसरे जिलों की तुलना में थोड़ी ज्यादा है। इसके बाद सरकारी एजेंसियां यह पता कर सकेंगी कि बांका जिले के किस बाजार में लोगों को दाम अधिक चुकाने पड़ रहे हैं और किस वस्तु की कीमत काफी चढ़ी हुई है। अगर ऐसा जमाखोरी या कालाबाजारी के कारण हुआ है तो छापेमारी होगी। नई व्यवस्था की जरूरत क्यों अभी तक महंगाई के आंकड़े भारत सरकार की ओर से राज्यवार जारी किए जाते हैं। इससे राज्य के किसी खास इलाके में कीमतों का बेकाबू होने का पता नहीं चल पाता है। निदान ढूंढना भी मुश्किल होता है। जिलावार आंकड़े जारी होने से खास इलाके में महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य ही नहीं जिला प्रशासन भी कदम उठा सकेगा। बाजारों से रियल टाइम अलर्ट मिलेगा
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