भास्कर न्यूज| डुमरा नगर के मिरचाईपट्टी, रिंग बांध स्थित गायत्री ज्ञान मंदिर विद्यालय प्रांगण में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ जारी है। आयोजन में शामिल होने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इसको लेकर शांतिकुंज हरिद्वार से आए ब्रह्मवादनी टोली में श्यामा राठौर का कथा प्रवचन सुनने को भक्तों की भीड़ लगी रही। शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में भक्त लोग पहुंच कर कथा प्रवचन का आनंद उठा रहे हैं। वहीं विभिन्न संस्कारों व हवन यज्ञ में शामिल हो रहे हैं। इस दौरान लोगों को संस्कार और जीवन मूल्यों की सीख दी गयी। शाम करीब 5 बजे से प्रज्ञा पुराण कथा शुरू हुआ। गुरुवार को तृतीय अध्याय का संगीतमय प्रवचन हुआ। इस दौरान श्यामा राठौर ने कुंभ के विधान संबंधी चर्चा की। उन्होंने बताया कि कुंभ सनातनियों का धर्म सम्मेलन के रूप में आयोजित हुआ था। जिसमें चार जगह पर गंगा नदी के किनारे हरिद्वार शिप्रा नदी के किनारे, गोदावरी नदी एवं संगम प्रयाग में स्नान के उपरांत सनातनियों के सत्संग करने पर ही कुंभ स्नान का पूर्ण लाभ प्राप्त हुआ। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मानव जीवन गृहस्थ आश्रम का पालन करते हुए कामनाओं से मुक्त होने का नाम सन्यास है। अतएवं गृहस्थ आश्रम को ही सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। क्योंकि उसमें अभिभावकों का आशीर्वाद स्नेह एवं मार्गदर्शन, भाइयों का समर्पण आदि भावों का समावेश रहता है। गृहस्थ आश्रम से ही ब्रह्मचारी, सन्यासी आदि सभी निकलते हैं। वहीं इस दौरान अरुंधति शाह, मंदाकिनी तिवारी, लक्ष्मी साहू, विजयलक्ष्मी यादव, संगीता चंद्राकर, सुभाष मौर्य, धर्मेंद्र यादव एवं आयोजक विद्यानंद पांडे, शैलेंद्र कुमार सिंह, राम दिनेश सिंह, मुख्य ट्रस्टी अरविंद सिंह, मुख्य यजमान अजय कुमार गुप्ता सह पत्नी मंजू गुप्ता के द्वारा गुरुवार की प्रातः 9 बजे गुरु वंदना, गणेश वंदना व व्यास पीठ वंदना किया। यज्ञ की महिमा का बखान सुना गया।भजनों के द्वारा सभी देवताओं का आवाह्न व पूजन किया गया। पश्चात गुरुजी के चरण पादुका का पूजन कराकर हवन कार्यक्रम किया गया। श्रद्धालु भक्त भारतीय वेशभूषा में उपस्थित हुए। स्थानीय लोगों में सर्वश्री विद्यानंद पांडे, अवधेश शर्मा, रेणू दीदी, शैलेंद्र कुमार सिंह, अरविंद सिंह, राम दिनेश सिंह, उमेश शास्त्री, विजय प्रसाद, डॉ. विजय चंद्र ,रामपाल भगत, प्रदीप कुमार, रणधीर सिंह, विश्वनाथ सिंह आदि शामिल थे। बताया गया कि गायत्री ज्ञान यज्ञ का महत्व व्यक्ति और समाज के आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक उत्थान के लिए खास है। जो सद्बुद्धि, विवेक और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह आयु, स्वास्थ्य, धन और यश बढ़ाता है। मन को शांत करता है। नकारात्मकता दूर करता है और वातावरण को शुद्ध करके लोक-कल्याण के लिए आवश्यक है, जिससे व्यक्ति में दिव्य गुण विकसित होते हैं और उसे सफलता व आत्मिक आनंद मिलता है। उन्होंने कहा कि गायत्री ज्ञान यज्ञ एक संपूर्ण साधना है, जो व्यक्ति को आंतरिक रूप से मजबूत और बाहरी रूप से सफल बनाती है तथा समाज और प्रकृति के लिए भी कल्याणकारी है। समाज और प्रकृति के लिए भी कल्याणकारी है ज्ञान यज्ञ
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