नेहरू जी ने वंदे मातरम गीत के बैकग्राउंड का अध्ययन किया और इसे लेकर अपनी चिंता व्यक्त की कि इससे मुस्लिम समुदाय उकसाया जा सकता है. इसके बाद कांग्रेस ने छब्बीस अक्टूबर को कोलकाता में एक बैठक आयोजित की जिसमें वंदे मातरम के उपयोग की समीक्षा की गई. बंकिम बाबू के बंगाल और कोलकाता को समीक्षा के लिए चुना गया था. पूरे देश में इस प्रस्ताव के विरोध में लोगों ने प्रभात फेरियां निकालीं और वंदे मातरम गाया गया, लेकिन अंत में कांग्रेस ने इस विषय पर समझौता कर लिया.
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