कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पत्नी किसी भी प्रकार की सहानुभूति का पात्र नहीं है और याचिकाकर्ता से भरण-पोषण प्राप्त करने की हकदार नहीं है. साथ ही कोर्ट ने नोएडा फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को रद्द करते हुए याची पति की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार कर लिया.
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