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कड़ाके की ठंड-शीतलहर की चपेट में औरंगाबाद:आठवीं तक के स्कूल बंद, न्यूनतम तापमान 9 डिग्री तक पहुंचा

औरंगाबाद में पिछले छह दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड और शीतलहर ने जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। अचानक तापमान में आई गिरावट से आम लोग ठिठुरने को मजबूर हैं। सुबह से घना कोहरा छाया रहने और दिन में धूप नहीं निकलने से ठंड का असर और भी बढ़ गया है। मौसम विभाग के अनुसार, इस बार दिन और रात के तापमान में बहुत कम अंतर देखने को मिल रहा है, जिससे शीत दिवस जैसी स्थिति बनी हुई है। 27 दिसंबर तक कोल्ड डे मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार दिसंबर के पहले सप्ताह में ही जिले का न्यूनतम तापमान 9 से 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। अनुमान है कि अगले 10 दिनों में तापमान में और गिरावट आ सकती है। औरंगाबाद समेत बिहार के कई जिलों के लिए 27 दिसंबर की सुबह तक शीत दिवस और घने कोहरे का येलो अलर्ट जारी किया गया है। हल्के से घने कोहरे के कारण विजिबिलिटी लगभग 50 मीटर है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ सकता है। मौसम वैज्ञानिक अनूप चौबे ने बढ़ती ठंड और घने कोहरे को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में बच्चों और पशुओं का विशेष ख्याल रखना जरूरी है। गर्म खाना देने की सलाह बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने और गर्म भोजन देने की सलाह दी गई है, जबकि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए उन्हें ढंक कर रखने और सुरक्षित स्थान पर रखने की आवश्यकता बताई गई है। बढ़ती ठंड को देखते हुए स्कूल बंद करने का आदेश लगातार बढ़ती ठंड को देखते हुए डीएम अभिलाषा शर्मा ने अगले दो दिनों तक आठवीं तक के शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया है। उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 की धारा 163 के तहत आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार जिले के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों, निजी कोचिंग संस्थानों, प्री-स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में आठवीं तक की कक्षाओं की शैक्षणिक गतिविधियां 23 दिसंबर से 24 दिसंबर 2025 तक पूरी तरह से स्थगित रहेंगी। नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाओं के लिए पूर्वाह्न 11 बजे तक और अपराह्न 3:30 बजे के बाद शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा। हालांकि परीक्षा के लिए संचालित विशेष कक्षाओं को इस आदेश से मुक्त रखा गया है। जिला प्रशासन ने स्कूल प्रबंधन को आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। जिला मुख्यालय समेत कई इलाकों में लोगों का कहना है कि अलाव के लिए पर्याप्त मात्रा में लकड़ियों की व्यवस्था नहीं की गई है। गरीब, लाचार और वृद्ध लोगों के लिए कंबल और डब्बा बंद भोजन की उपलब्धता भी नाकाफी बताई जा रही है। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते पर्याप्त इंतजाम करता, तो ठंड से होने वाली परेशानियों को काफी हद तक कम किया जा सकता था।


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