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कड़ाके की ठंड में सरकारी दावे फेल, अस्पताल में मरीज तो स्टेशन पर यात्री ठिठुरते नजर आए

खगड़िया | सर्दी का कहर बढ़ता जा रहा है। शनिवार की रात तापमान 10 डिग्री तक गिर गया, लेकिन शहर के प्रमुख ठिकानों पर ठंड से राहत के इंतजाम नाकाफी दिखे। भास्कर टीम ने रात 11 बजे शहर के रैन बसेरा, सदर अस्पताल और रेलवे स्टेशन का जायजा लिया। तस्वीरें अलग दिखीं। अस्पताल में कंबल के अभाव में मरीज ठिठुरते रहे तो स्टेशन पर वेटिंग हॉल नहीं रहने से खुले आसमान तले यात्री रात बिताते दिखे। रैन बसेरा में भी कमोबेश ऐसा ही रहा। अस्पतालों में व्यवस्थाएं पक्षपाती नजर आईं। सदर अस्पताल में इमरजेंसी कक्ष में एक डॉक्टर केके सिंह व एक नर्स मौजूद थीं। यहां डॉक्टर और नर्सों के चेंबर में ब्लोअर (हीटर) की पूरी व्यवस्था थी। वे गर्मी में आराम से ड्यूटी कर रहे थे, लेकिन मरीजों के वार्ड में कंबल तक नहीं थे। अस्पताल में 13 मरीज भर्ती थे। इनमें से अधिकांश अपने घर से ही कंबल लाए थे। एक मरीज के परिजन ने गुस्से में कहा, डॉक्टर साहब को गर्मी मिल रही है, लेकिन मरीज ठंड से मर रहे हैं। रांको के एक मरीज ने कहा कि ठंड से बचने के लिए कंबल घर से लाना पड़ा। बलवाही बस स्टैंड पर बना रैन बसेरा तीन मंजिला इमारत है, जिसमें कुल 50 बेड की क्षमता है। यहां भी हकीकत कुछ और दिखी। रात 11 बजे जब भास्कर टीम पहुंची, तो कड़ाके की ठंड में यहां ठहरे 13 लोग बिना अलाव के रात काट रहे थे। इनमें 8 बाहर से आए यात्री थे, जबकि 5 स्थानीय। सबसे बड़ी लापरवाही रजिस्टर में दिखी। ठहरने वालों के पते या पहचान डायरी में दर्ज नहीं थी। एक ठहरे हुए व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर कहा- यहां कोई पूछताछ नहीं करता, बस आकर सो जाते हैं। यहां कुछ लोग ऐसे भी मिले, जिनके घर महज 100 मीटर की दूरी पर है। फिर भी वे रैन बसेरा में ठहरे थे। रैन बसेरा में अगर ऐसी स्थिति है तो उसकी जांच करवाई जाएगी। वैसे लोगों को चिह्नित कर रोक लगाया जाएगा। अलाव की व्यवस्था सभी जगह कराई जा रही है। आश्रितों को ठंड में कोई परेशानी नही होगी। सिंघु कमल, कार्यपालक पदाधिकारी, नप। रेलवे स्टेशन की स्थिति सबसे दयनीय थी। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत चल रहे निर्माण कार्य के कारण जगह कम हो गई है। नतीजा यात्री रात में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। न अलाव की व्यवस्था, न सर पर छत। प्लेटफॉर्म पर कई यात्री जमीन पर बिछे कपड़ों पर लेटे थे। एक मां अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर ठंड से बचा रही थीं।


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