गोपालगंज में कड़ाके की ठंड और कनकनी ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। पिछले कुछ दिनों से तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग ठिठुरने को मजबूर हैं। आसमान से गिर रही ओस की बूंदों ने सड़कों को इतना गीला कर दिया है कि हल्की बारिश का आभास हो रहा है। इससे सड़कों पर फिसलन बढ़ गई है, जिससे दोपहिया वाहन चालकों को विशेष परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ओस के कारण नमी इतनी अधिक है कि लोगों के कपड़े और घरों की बाहरी दीवारें भी भीगी नजर आ रही हैं। सुबह और शाम के समय तापमान में भारी गिरावट दर्ज पछुआ हवाओं के जोर पकड़ने से कनकनी और बढ़ गई है। सुबह और शाम के समय तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। आज न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस रहा। उत्तर-पश्चिमी दिशा से 10-12 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही सर्द हवाओं ने ‘चिल फैक्टर’ को काफी बढ़ा दिया है। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर ठंड का सबसे अधिक असर दैनिक मजदूरी करने वालों, रिक्शा चालकों और खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले लोगों पर पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां लोग ठंड और गलन के कारण घरों में दुबकने को मजबूर हैं। ठंड से बचने के लिए लोग अब अलाव का सहारा ले रहे हैं। लकड़ी और कूड़ा-करकट जला रहे लोग चौक-चौराहों, गली-मोहल्लों और सड़कों के किनारे लोग लकड़ी और कूड़ा-करकट जलाकर खुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों में जिला प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश देखा जा रहा है।उनका आरोप है कि प्रशासन द्वारा चौक-चौराहों पर पर्याप्त अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है और गरीब व असहाय लोगों तक अभी भी सरकारी कंबल नहीं पहुँच पाए हैं।कड़ाके की ठंड को देखते हुए सार्वजनिक स्थानों पर जो इंतजाम होने चाहिए थे,वे जमीन पर नजर नहीं आ रहे हैं। अस्पतालों में सर्दी-खांसी और सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी हाड़ कंपाने वाली इस ठंड ने बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर बुरा असर डाला है। अस्पतालों में सर्दी-खांसी और सांस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। व्यापारिक गतिविधियां भी मंद पड़ गई हैं क्योंकि लोग शाम होते ही घरों में कैद होने को मजबूर हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द ही प्रमुख चौक-चौराहों पर अलाव और राहत सामग्री की व्यवस्था नहीं की, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।ठंड का सबसे ज्यादा असर दैनिक मजदूरी करने वालों, रिक्शा चालकों और खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले लोगों पर पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है। कड़ाके की ठंड और गलन के कारण लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं।
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