कटिहार जिले में प्रतिबंधित ‘चाइना मांगुर’ मछली की धड़ल्ले से बिक्री की खबर दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप पर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया। मंगलवार सुबह मत्स्य विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए जिले की सबसे बड़ी मछली मंडी न्यू मार्केट में छापेमारी की। छापेमारी टीम को देखकर मछली बाजार के विक्रेताओं में खलबली मच गई, खासकर उन लोगों में जो प्रतिबंधित चाइना मांगुर मछली की बिक्री में शामिल थे। टीम का नेतृत्व स्वयं जिला मत्स्य पदाधिकारी सनत कुमार कर रहे थे। मत्स्य विभाग की टीम ने न्यू मार्केट मछली मंडी के सभी स्टालों का जायजा लिया और चिह्नित दुकानदारों से पूछताछ करते हुए उनकी दुकानों की गहन तलाशी ली। कालाबजारी में संलिप्त दुकानदार हुए सतर्क हालांकि, छापेमारी के दौरान न्यू मार्केट मछली बाजार में किसी भी स्टॉल पर चाइना मांगुर मछली की बिक्री होते हुए नहीं दिखी। अधिकारियों ने बताया कि खबर प्रकाशित होने के बाद इस तरह के कार्य में संलिप्त दुकानदार सतर्क हो गए थे। जिला मत्स्य पदाधिकारी सनत कुमार ने सभी विक्रेताओं को चेतावनी दी कि भविष्य में समय-समय पर इस तरह की छापेमारी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि रंगे हाथ खरीद-बिक्री करते पकड़े जाने पर 6 माह की कारावास और आर्थिक दंड का प्रावधान है, जिसे भुगतना होगा। चाइना मांगुर मछली को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है, जिसके कारण इसकी बिक्री प्रतिबंधित है। पश्चिम बंगाल से सटे होने के कारण कटिहार के बाजारों में यह मछली बड़ी मात्रा में खुलेआम बेची जाती है। जिले का न्यू मार्केट मछली बाजार इसकी बिक्री का मुख्य केंद्र बन गया है, जहां कम कीमत के कारण यह ग्राहकों के बीच लोकप्रिय है। जिससे प्रतिबंध का उल्लंघन लगातार बढ़ रहा है। समय-समय पर लगातार होगी छापेमारी जिला मत्स्य पदाधिकारी सनत कुमार सिंह ने इस मामले पर संज्ञान लिया है। उन्होंने बताया कि न्यू मार्केट सहित जिले के अन्य बाजारों में प्रतिबंधित चाइना मांगुर की बिक्री हो रही है, जो कानूनी रूप से गलत और जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सिंह ने बिहार अधिनियम के तहत त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि न्यू मार्केट सहित अन्य संभावित बिक्री केंद्रों पर समय-समय पर लगातार औचक निरीक्षण किया जाएगा। प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उनका स्टॉक जब्त किया जाएगा। थाई मांगुर मछली पर क्यों लगा प्रतिबंध थाई मांगुर मछली का वैज्ञानिक नाम ‘क्लेरियस गेरीपाइंस’ है। इसे सबसे पहले 1998 में केरल में प्रतिबंधित किया गया था। वर्ष 2000 में भारत सरकार ने इस मछली पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, सख्त कानूनों के अभाव में यह मछली मंडियों में खुलेआम बिकती रही। यह मछली मुख्य रूप से बांग्लादेश से आयात की जाती है।
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