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औरंगाबाद से लापता बुजुर्ग जालंधर में मिला:24 साल से वृद्ध आश्रम में रह रहा था, परिजनों ने मृत मानकर पुतले का अंतिम संस्कार कर दिया था

औरंगाबाद जिले के भोपतपुर गांव से 2001 से लापता रामप्रवेश महतो जिंदा हैं। पंजाब के जालंधर में वृद्ध आश्रम में सुरक्षित हैं। अब अपने परिवार के साथ गांव लौट रहे हैं। रविवार को घर पहुंचेंगे। जहां उनके स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं। जानकारी के अनुसार पूर्व मुखिया संतोष कुशवाहा के पिता रामप्रवेश महतो वर्ष 2001 में प्रयागराज कुंभ मेला में स्नान करने के लिए घर से निकले थे। इसके बाद वह कभी वापस नहीं लौटे। रिश्तेदारी से लेकर संभावित स्थानों पर खोजबीन की गई, लेकिन उनका कोई सुराग नहीं मिल सका। काफी इंतजार के बाद परिवार ने उन्हें मृत मान लिया। 2009 में रामप्रवेश महतो की पत्नी जसवा देवी का निधन हो गया। उस समय परिजनों ने सामाजिक परंपरा के अनुसार रामप्रवेश महतो को भी मृत मानते हुए पत्नी के साथ उनका भी पुतला बनाकर दाह संस्कार कर दिया। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। साथियों के साथ जालंधर रवाना कुछ दिन पूर्व औरंगाबाद जिले का एक ट्रक चालक जालंधर के इससेबल गांव पहुंचा। वहां वृद्धाश्रम के संचालक महंत जिंदर मानसिंह ने एक बुजुर्ग के बारे में बताया। जो मगही भाषा में अपने गांव, परिजनों और आसपास के क्षेत्रों का नाम बता रहे थे। ट्रक चालक ने जब रामप्रवेश महतो से बातचीत की तो उन्होंने भोपतपुर और आसपास के कई गांवों के नाम बताया। इसके बाद संचालक ने गूगल की मदद से इलाके के जनप्रतिनिधियों का फोन नंबर निकाला। एक सरपंच का नंबर मिला और फिर 23 दिसंबर को पूर्व मुखिया संतोष कुशवाहा से संपर्क स्थापित हुआ। पिता के जीवित होने की खबर सुनते ही संतोष कुशवाहा भावुक हो गए। साथियों के साथ तुरंत जालंधर के लिए रवाना हो गए। आज जीवन की सबसे बड़ी खुशी मिली है- बेटा शुक्रवार को संतोष कुशवाहा वृद्धाश्रम पहुंचे। 24 साल बाद अपने पिता को देखा। दोनों की आंखें भर आईं। यह पल वहां मौजूद हर व्यक्ति को भावुक कर गया। संतोष कुशवाहा ने बताया कि उनके पिता वर्ष 2001 से वृद्धाश्रम में रह रहे थे। पिताजी चार भाइयों में तीसरे नंबर पर हैं। वर्ष 2016 में मैं भोपतपुर पंचायत से मुखिया बना। तब मेरे पिता साथ नहीं थे। जिसका उन्हें हमेशा मलाल रहा। आज 24 साल बाद उनसे मिलना जीवन की सबसे बड़ी खुशी है। इस पूरे घटनाक्रम में ट्रक चालक की भूमिका अहम रही, जिनकी वजह से यह असंभव सा लगने वाला पुनर्मिलन संभव हो सका।


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