राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद अभय कुमार सिन्हा ने संसद में चुनावी सुधार पर चर्चा के दौरान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हुई कथित अनियमितताओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सरकारी दुरुपयोग और चुनाव आयोग की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए। सिन्हा ने बिहार को ‘लोकतंत्र की जननी’ बताते हुए कहा कि आज वही राज्य गहरे चुनावी संकट का सामना कर रहा है। जब संबंधित मंत्री ने चर्चा को परिवारवाद के आरोपों की ओर मोड़ा, तो सांसद सिन्हा ने जवाब देते हुए कहा कि यदि मंत्री परिवारवाद देखना चाहते हैं, तो उन्हें NDA गठबंधन के भीतर देखना चाहिए। सिन्हा ने उदाहरण देते हुए कहा कि पति-पत्नी, समधी-समधन, ससुर-पुत्र और मामा-भांजे को टिकट दिए जा रहे हैं। सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार गठन के समय ऐसे व्यक्ति को शामिल किया गया जो मंत्री भी नहीं था। उन्होंने मंत्री पर जानबूझकर चुनावी सुधार और अनियमितताओं जैसे असल मुद्दों से भटकने का आरोप लगाया। अभय कुमार सिन्हा ने सदन में बैलेट पेपर प्रणाली को फिर से लागू करने का सुझाव दिया। उन्होंने तर्क दिया कि जनता का भरोसा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर लगातार कम हो रहा है। सिन्हा ने चुनावी अनियमितताओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों द्वारा 27 अक्टूबर, 31 अक्टूबर और 4 नवंबर को सांप्रदायिक और विभाजनकारी भाषण दिए गए थे। उन्होंने बताया कि ये भाषण आदर्श आचार संहिता (MCC) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A का सीधा उल्लंघन थे। सांसद ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने केवल ‘सावधानी’ की सलाह देकर अपनी भूमिका को कमजोर कर दिया।
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