औरंगाबाद जिला इन दिनों घने कोहरे की चपेट में है, जिससे जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। बुधवार सुबह से ही जिले में घना कोहरा छाया रहा, जिसके कारण सड़कों पर विजिबिलिटी बेहद कम हो गई। मौसम विभाग के अनुसार जिले का न्यूनतम तापमान 9 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया, जबकि अधिकतम तापमान करीब 16 डिग्री सेल्सियस रहा। लगातार बढ़ती ठंड और कोहरे के कारण ठिठुरन बढ़ गई है और लोगों को सुबह-शाम खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। घने कोहरे की वजह से विजिबिलिटी महज 50 मीटर तक सिमट गई है। इसका सीधा असर यातायात व्यवस्था पर देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ-साथ ग्रामीण सड़कों पर भी वाहन रेंगते नजर आए। कोहरे के कारण वाहन चालकों को दिन में भी हेडलाइट और फॉग लाइट जलाकर सफर करना पड़ा। कई स्थानों पर वाहनों की गति बेहद धीमी रही, जिससे जाम जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। रेल, सड़क यातायात पर पड़ा कोहरे का असर कोहरे का असर रेल और सड़क यातायात दोनों पर पड़ा है। सुबह के समय लंबी दूरी की बसें और मालवाहक वाहन समय से नहीं चल पाए। वहीं निजी वाहनों और दोपहिया चालकों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सड़क किनारे रहने वाले लोग और दुकानदार भी ठंड और कोहरे के कारण देर से घरों से बाहर निकले। स्कूली बच्चों और दफ्तर जाने वाले कर्मचारियों को भी सुबह की यात्रा में परेशानी हुई। अगले कुछ दिनों तक कोहरे और ठंड की संभावना मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक कोहरे और ठंड के बने रहने की संभावना जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पछुआ हवा के कमजोर पड़ने और नमी की अधिकता के कारण कोहरे की स्थिति बनी हुई है। प्रशासन की ओर से वाहन चालकों को सतर्कता बरतने की अपील की गई है। खासकर सुबह और देर रात यात्रा के दौरान धीमी गति से वाहन चलाने, सुरक्षित दूरी बनाए रखने और फॉग लाइट का उपयोग करने की सलाह दी गई है। ठंड को देख बुजुर्गों, बच्चों को अधिक सतर्क रहने की सलाह डॉक्टरों ने भी बढ़ती ठंड को देखते हुए बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है। गर्म कपड़े पहनने, ठंडी हवा से बचाव करने और अनावश्यक रूप से सुबह-शाम बाहर निकलने से बचने की अपील की गई है। घने कोहरे और ठंड के इस दौर में प्रशासन और आम लोग दोनों ही सतर्कता बरतते नजर आ रहे हैं। ऐसे में ठंड को लेकर जिला प्रशासन और नगर परिषद द्वारा किए गए इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। हालांकि कुछ जगहों पर प्रशासन के द्वारा अलाव की व्यवस्था की गई है।लेकिन अधिकांश जगहों पर ठंड से बचाव के लिए लोग खुद से अलाव का व्यवस्था कर रहे हैं।
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