केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि अनरेगुलेटेड ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स का टेरर फाइनेंस और मनी लॉन्ड्रिंग से लिंक है। इसलिए इन्हें रेगुलेट करने के लिए कानून बनाना जरूरी था। केंद्र ने बताया कि ऑनलाइन पैसों वाले गेम तेजी से बढ़ रहे हैं और इससे धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और कुछ मामलों में आतंकवाद को फंडिंग हो रही है, जो नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरा हैं। केंद्र ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां बड़े विज्ञापनों, सेलिब्रिटी और इन्फ्लुएंसर के प्रमोशन का इस्तेमाल कर प्रचार करती हैं, जिससे युवाओं और कमजोर वर्गों तक इन ऐप्स की पहुंच और असर बढ़ जाता है। सरकार का कहना है कि ऑनलाइन मनी गेम्स की वजह से देशभर में आर्थिक नुकसान और सुसाइड केस बढ़ रहे हैं। अगर हर राज्य का डेटा जोड़ा जाए, तो कुल संख्या बहुत ज्यादा होगी। जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि वे गुरुवार को मामले की सुनवाई करने की कोशिश करेंगे। 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका मंजूर कर ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 को चुनौती देने वाली हाईकोर्ट की सभी याचिकाएं अपने पास मंगवा लीं, ताकि अलग-अलग फैसले न हों। कई प्लेटफॉर्म विदेश से ऑपरेट होते हैं सरकार ने कहा कि ऑनलाइन मनी गेम्स का लोगों, परिवारों और समाज पर गंभीर बुरा असर पड़ रहा है। ये गेम जटिल तकनीक, एल्गोरिदम और देश-विदेश के नेटवर्क के जरिए चलते हैं। कई प्लेटफॉर्म विदेश से ऑपरेट होते हैं, जिससे वे भारतीय कानूनों से बच जाते हैं और राज्यों के नियम भी कमजोर पड़ जाते हैं। पूरी तरह बैन को सही ठहराते हुए सरकार ने कहा कि लोगों को हर साल लगभग 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान होता है और 45 करोड़ लोग ऐसे गेम्स से प्रभावित हैं। सरकार ने कहा कि लोगों की भलाई, पब्लिक हेल्थ, उपभोक्ता सुरक्षा, नैतिक मूल्यों और देश की आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए, ऑनलाइन गेमिंग पर कानून बनाना जरूरी था। सरकार का मानना है कि इससे एक सुरक्षित, व्यवस्थित और इनोवेशन को बढ़ावा देने वाला डिजिटल माहौल बनाया जा सकेगा। ऑनलाइन गेमिंग बिल के बारे में जानें… प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के तहत देश में रियल मनी गेमिंग पर बैन लगाया जाएगा। यह बिल 20 अगस्त को लोकसभा और 21 अगस्त को राज्यसभा से पास हुआ था। 22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बना और 1 अक्टूबर से लागू किया गया। ऑनलाइन गेमिंग कानून को 3 हाईकोर्ट में चुनौती ऑनलाइन गेमिंग कानून में 4 सख्त नियम इस कानून में कहा गया है कि चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड दोनों पर रोक है। इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ेगा? इस कानून के आने के बाद ड्रीम11, गेम्स24×7, विंजो, गेम्सक्राफ्ट, और माय11सर्कल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स ने अपने मनी-बेस्ड गेम्स बंद कर दिए हैं। उदाहरण के लिए: ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से थी भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता था। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन अब इन्होंने रियल मनी गेम्स बंद कर दिए हैं। इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस कदम से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल करीब 20 हजार रुपए के टैक्स का नुकसान भी हो सकता है। ——————————– ये खबर भी पढ़ें… ऑनलाइन जुआ-सट्टा केस, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर सरकार से विस्तृत जवाब देने को कहा है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जवाब की कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकीलों को पहले से दे दें। पूरी खबर पढ़ें…
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