एन चंद्रशेखरन की टाटा संस में ऐतिहासिक ‘हैट्रिक’, रतन टाटा को भी नहीं हासिल नहीं ये मुकाम

एन चंद्रशेखरन की टाटा संस में ऐतिहासिक ‘हैट्रिक’, रतन टाटा को भी नहीं हासिल नहीं ये मुकाम

टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने ग्रुप में एक ऐसी ऐतिहासिक ‘हैट्रिक’ लगाई है, जो रतन टाटा भी कभी भी नहीं लगा सके थे. ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, मामले से अवगत लोगों ने बताया कि टाटा ग्रुप की रिटायरमेंट पॉलिसी से पहली बार अलग हटते हुए, टाटा ट्रस्ट्स ने टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन के लिए तीसरे कार्यकारी कार्यकाल को मंज़ूरी दे दी है. चंद्रशेखरन फरवरी 2027 में अपना दूसरा कार्यकाल समाप्त होने पर 65 वर्ष के होंगे. समूह के नियमों के अनुसार, अधिकारियों से 65 वर्ष की आयु में ऐसे पदों से हटने की अपेक्षा की जाती है, हालांकि वे 70 वर्ष की आयु तक गैर-कार्यकारी पदों पर बने रह सकते हैं.

एक व्यक्ति ने कहा कि कार्य में निरंतरता बनाए रखने के लिए, यह महसूस किया गया कि सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी और एअर इंडिया जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कार्यकारी नेतृत्व आवश्यक है. उस व्यक्ति ने कहा कि ट्रस्ट्स का प्रस्ताव टाटा संस को भेजा गया था, जिसे निश्चित रूप से 2027 से तीसरे कार्यकाल को मंज़ूरी देते समय फैसला लेगी.

ग्रुुप में पहली बार होगा ऐसा

इस मामले से जुड़े उच्च अधिकारियों ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा कि नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने 11 सितंबर को टाटा ट्रस्ट्स की बैठक में चंद्रशेखरन के लिए पांच साल का तीसरा कार्यकारी कार्यकाल प्रस्तावित किया था. इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंज़ूरी मिल गई. वैसे टाटा ट्रस्ट्स ने कोई टिप्पणी नहीं की है. नियमों के अनुसार, नए कार्यकाल को उसके समाप्त होने से एक साल पहले मंज़ूरी दी जाती है और तदनुसार, अगले साल फरवरी में टाटा ट्रस्ट्स द्वारा इस निर्णय को औपचारिक रूप दिया जाएगा, जो समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी रखता है. यह पहली बार है जब कोई ग्रुप एग्जीक्यूटिव रिटायरमेंट लिमिट के बाद भी सक्रिय कार्यकारी भूमिका में बना रहेगा.

यह एक्सटेंशन टाटा ट्रस्ट्स के भीतर इस बात को लेकर मतभेद के बीच आया है कि क्या टाटा संस को प्राइवेट हाथों में ही रहना चाहिए. कुछ ट्रस्टी अब जुलाई में पारित उस प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर रहे हैं जिसमें कहा गया था कि टाटा संस को निजी स्वामित्व में ही रहना चाहिए. इस बैकड्रॉप , चंद्रशेखरन का निरंतर कार्यकारी नेतृत्व ग्रुप को एक जटिल दौर से निकालने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

एक्सटेंशन अप्रत्याशित नहीं

परामर्शदाता फर्म कैटालिस्ट एडवाइजर्स के एमडीकेतन दलाल ने ईटी की रिपोर्ट में कहा कि यह विस्तार असामान्य लग सकता है, लेकिन ग्रुप जिस महत्वपूर्ण मोड़ पर है, उसे देखते हुए यह पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं है. उन्होंने कहा कि टाटा एक असाधारण और सम्मानित ग्रुप है, लेकिन यह वर्तमान में आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से जूझ रहा है, जिसमें एयर इंडिया की घटना और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव से लेकर टाटा संस के संभावित आईपीओ को लेकर बढ़ते बाजार दबाव तक शामिल हैं. उन्होंने आगे कहा कि साथ ही, ग्रुप सेमीकंडक्टर, रक्षा और विमानन जैसे रणनीतिक विकास क्षेत्रों में भी साहसिक दांव लगा रहा है. चंद्रशेखरन को फरवरी 2022 में दूसरा पांच साल का कार्यकाल दिया गया. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के अनुभवी चंद्रशेखरन पहली बार अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड में शामिल हुए थे और जनवरी 2017 में उन्हें अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

शेखरन के नेतृत्व में कैसा किया प्रदर्शन?

एन चंद्रशेखरन के नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने पिछले पांच वर्षों में 5.5 लाख करोड़ रुपए खर्च करके राजस्व लगभग दोगुना और शुद्ध लाभ तथा मार्केट कैप तिगुना से भी ज़्यादा बढ़ाया. वित्त वर्ष 2025 में सभी लिस्टेड और नॉन-लिस्टेड संस्थाओं से रेवेन्यू 15.34 लाख करोड़ रुपए था, जबकि शुद्ध लाभ 1.13 लाख करोड़ रुपए था. हालांकि, पिछले एक साल में, ग्रुप का मार्केट कैप लगभग 6.9 लाख करोड़ रुपए घटकर 10 अक्टूबर, 2025 तक 26.5 लाख करोड़ रुपए रह गया है, जिसकी वजह टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी TCS के शेयर प्राइस में लगभग 30 फीसदी की गिरावट है.

उनके कार्यकाल के दौरान, टाटा संस की कुल संपत्ति 2018 के 43,252 करोड़ रुपए से बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपए हो गई. उनके नेतृत्व में ग्रुप ने प्रमुख अवसरों का लाभ उठाने के लिए नए व्यवसाय भी स्थापित किए. इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण, असेंबली और टेस्टिंग के क्षेत्र में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का प्रवेश शामिल है. टाटा डिजिटल ने डिजिटल ऐप टाटा न्यू के साथ एक ओमनी-चैनल प्लेटफ़ॉर्म स्थापित किया है, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स (क्रोमा), किराना (बिगबास्केट), फ़ार्मेसी और डायग्नोस्टिक्स (टाटा 1एमजी) और फ़ैशन (टाटा क्लिक) में भी आगे बढ़ रहा है. इसके अलावा, एयर इंडिया 69 साल बाद टाटा समूह में वापस आ गई. विस्तारा और एयरएशिया इंडिया का क्रमशः एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में मर्जर कर दिया गया. टाटा समूह ने तेजस नेटवर्क्स का भी अधिग्रहण किया, एक स्वदेशी मोबाइल नेटवर्क स्टैक का निर्माण कर रहा है और भारत और यूके में बैटरी गीगाफ़ैक्ट्री स्थापित कर रहा है.

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